वकीलों का कोर्ट में बहस के लिए पेश न होना Professional misconduct के बराबर
कोर्ट ने कहा यह बेंच हंटिंग या फोरम शापिंग जैसा

सूचीबद्ध मामलों में अधिवक्ताओं का कोर्ट में उपस्थित न होना Professional misconduct तथा बेंच हंटिंग या फोरम शॉपिंग के समान है। एक जमानत अर्जी पर विचार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने यह टिप्पणी की। जस्टिस कृष्ण पहल ने कहा, अक्सर देखा जा रहा है कि सूचीबद्ध अधिकांश मामलों में अधिवक्ता उपस्थित नहीं हो रहे हैं, वह भी कई तारीखों पर।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह से सुनवाई के समय अधिवक्ता का गैरहाजिर होना कोई पहली या अकेली घटना नहीं है। बल्कि ऐसा पहले भी हो चुका है जब अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए, ऐसा करना Professional misconduct है। शिकायतकर्ता के वकील ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपी का बयान पहले ही दर्ज किया जा चुका है और मुकदमा अपने अंतिम चरण में है। कोर्ट ने ईश्वरलाल माली राठौड़ बनाम गोपाल केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें यह माना गया था कि अदालतें नियमित तरीके से और यंत्रवत केसों को नहीं टालेगी और न्याय देने में देरी की पक्षकार नहीं बनेगी।
कोर्ट ने कहा कि इसे लंबित रहने की आड़ में वर्षों तक केस उलझाए रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने श्रीमती पूजा के जमानत आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया।
“आवेदक को बिना किसी उचित स्पष्टीकरण के न्यायिक कार्यवाही से बार-बार अनुपस्थित रहकर न्याय की धारा को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। गैरहाजिर रहने का कोई कारण न बताना कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है, भले ही आदेश उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हो।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट
अप्राकृतिक दुष्कर्म के आरोपी की सशर्त जमानत मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराध प्रकृति व साक्ष्य की स्थिति को देखते हुए बिना मेरिट पर विचार किए बगैर बच्चे का अपहरण कर अप्राकृतिक सेक्स करने के आरोपी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने मेरठ के सरूरपुर थाना क्षेत्र के गुड्डू की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है।

पिता की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उसके बेटे को आरोपी गुड्डू बहला फुसला कर रात के 8 बजे एकांत में ले गया जो दिमागी और शारीरिक रूप से अक्षम था। गुड्डू ने उसके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया और छोड़कर भाग गया। यह घटना सरुरपुर थाना जनपद मेरठ की है। पीड़ित का मेडिकल हुआ, अभियुक्त गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जिला जज ने आरोप की गंभीरता को देखते हुए गुड्डू की जमानत खारिज कर दिया।
याची अधिवक्ता बीडी निषाद भूपेन्द्र ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में पीड़ित पूर्ण रूप से मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम है और उसके निजी अंग पर कोई चोट नहीं है। उसकी उम्र भी 18 साल के ऊपर है और पीड़ित के बयानों में विरोधाभास है। मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। पूछताछ के लिए अभिरक्षा में लेने की जरूरत नहीं है। वह 6 अप्रैल 25 से जेल में बंद हैं। यदि जमानत पर छूटता है तो जमानत का दुरूपयोग नहीं करेगा और ट्रायल में सहयोग करेगा। सरकारी अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया।