2 साल तक Order दबाये बैठे रहे Additional Chief Secretary Basic
अपर मुख्य सचिव बेसिक को नहीं भेजा आदेश, कोर्ट ने देरी पर मांगी सफाई

बेसिक शिक्षा निदेशक कोर्ट का Order दबाये बैठे रहे और Additional Chief Secretary Basic को Order की कापी भेजी ही नहीं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संत कबीर नगर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कार्यप्रणाली एवं अपर शिक्षा निदेशक बेसिक मृदुल आनंद के खिलाफ नियुक्ति में धांधली के मामले की जांच के लिए संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था. कहा था कि बस्ती मंडल का कोई अधिकारी कमेटी में न रखा जाय. कमेटी जांच रिपोर्ट पेश करें. जरूरी हो तो विजिलेंस जांच करायें. इस आदेश को सरकार को भेजा ही नहीं गया न तो कमेटी बनी न कार्रवाई की गई.
बेसिक शिक्षा निदेशक पिछले दो साल तक आदेश रखकर चुप बैठे रहे. Order की जानकारी सरकार को नहीं दी. दो साल बाद केस की सुनवाई के समय जब कोर्ट ने जांच रिपोर्ट के बारे में पूछा तो सरकारी वकील ने बताया कि अभी 14 जुलाई 25 को Additional Chief Secretary Basic को 25 मई 23 के आदेश के साथ पत्र लिखा गया है. Order का पालन करने के लिए एक माह का समय दिया जाय.
इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई और बेसिक शिक्षा निदेशक से आदेश का अनुपालन कराने में हुई देरी के स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा और कहा कि यदि अब भी 25 मई 23 के आदेश का पालन नहीं किया गया तो अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उप्र लखनऊ अगली सुनवाई की तिथि 25 अगस्त को हाजिर हो. यह आदेश जस्टिस मंजू रानी चौहान की बेंच ने नंदू प्रसाद की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
बता दें कि नंदू प्रसाद व मालती गुप्ता की नियुक्ति को लेकर विवाद उठा. कोर्ट ने रिकॉर्ड मांगा तो पता चला कि मैनेजर रिटर्न में नंदू प्रसाद और अनीस अहमद खान के बीच में बिना क्रमांक के मालती गुप्ता का नाम लिख दिया गया है. जिस पर बीएसए मृदुल आनंद के हस्ताक्षर हैं. कई अनियमितता दिखाई दी. जिससे स्पष्ट लगा कि बीएसए, अपर निदेशक बेसिक शिक्षा व प्रबंध समिति के बीच दुरभिसंधि है और नियुक्ति में घपला किया गया है.
जिस पर कोर्ट ने 25 मई 23 को राज्य सरकार को एक कमेटी गठित कर जांच कर जवाबदेही तय कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. जिसका पालन नहीं किया गया. सरकारी वकील ने बताया कि निदेशक बेसिक शिक्षा ने कोर्ट Orderकी अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को जानकारी ही नहीं भेजी. जिसपर कोर्ट ने सफाई मांगी है.

Order का अनुपालन न करने पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को अवमानना नोटिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन को लेकर दिये गये Orderका अनुपालन न करने पर दाखिल अवमानना याचिका पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को 19 नवंबर 2024 के Order का पालन कर अनुपालन शपथपत्र दाखिल करने या अगली सुनवाई पर स्वयं कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश जस्टिस नीरज तिवारी ने रमेश चंद्र व 36 अन्य की अवमानना याचिका पर उनके अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है. अवमानना याचिका में 19 नवंबर 2024 के Order की जानबूझकर अवहेलना करने का आरोप लगाया गया है.

DM मऊ एक हफ्ते में Order का पालन करें या 24 जुलाई को हाजिर हों
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट Order का पालन न करने व मांगी गई जानकारी उपलब्ध न कराने पर नाराजगी जताते हुए जिलाधिकारी मऊ को एक हफ्ते में Order का पालन करने या 24 जुलाई को हाजिर होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने इतराज प्रजापति की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह ने बहस की. मालूम हो कि याची ने जिलाधिकारी मऊ के न्यायालय में, इतराज प्रजापति के विरुद्ध चल रहे मुकदमे को जिलाधिकारी को मुकदमे की सुनवाई करने का अधिकार न होने के आधार पर, उच्च न्यायालय में याचिका योजित कर चुनौती दिया.
कोर्ट ने एक जुलाई 2025 को जिलाधिकारी मऊ से दो सप्ताह के अंदर इस संबंध में जानकारी मांगी. सरकारी वकील द्वारा ई मेल के माध्यम से जिलाधिकारी मऊ को सूचित करने के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई.जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है.
One thought on “2 साल तक Order दबाये बैठे रहे Additional Chief Secretary Basic”