इरफान, रिजवान और इजराइल 2 साल बाद आएंगे Jail से बाहर
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सपा के पूर्व विधायक और उनके भाइयों की जमानत मंजूर की

समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक कानपुर निवासी इरफान सोलंकी को विधायकी तो फिलहाल वापस नहीं मिलेगी लेकिन दो साल बाद Jail से बाहर आने का रास्ता जरुर साफ हो गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैगेस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में इरफान की जमानत मंजूर कर ली है. इस प्रकरण की सुनवाई कर रही जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने इरफान के अलावा उनके भाई रिजवान और इजराइल आटे वाला की भी जमानत अर्जी मंजूर कर ली है. इसके चलते सपा नेता आजम खां के बाद दूसरे सपा नेता इरफान सोलंकी के भी Jail से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है.
बता दें कि इरफान सोलंकी कानपुर की सीसामऊ सीट से विधायक थे. इरफान सोलंकी को जाजमऊ की डिफेंस कॉलोनी में नजीर फातिमा के घर में आगजनी के मामले में कानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 7 जून 2024 को सात साल Jail की सजा सुनाई थी. इस सजा के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द हो गई थी.
हाईकोर्ट ने इस मामले में 14 नवंबर 2024 को जमानत तो दी थी, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. जिसके चलते उनकी विधायकी बहाल नहीं हो सकी. सीट रिक्त होने के बाद चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव कराया. उपचुनाव में इरफान की पत्नी ही यहां से विधायक चुनी गईं.

इरफान सोलंकी पिछले 24 महीनों से महाराजगंज Jail में बंद हैं. अन्य आरोपी कानपुर Jail में हैं. महराजगंज जिला Jail में बंद पूर्व विधायक इरफान सोलंकी उसके भाई रिजवान सोलंकी और इजराइल आटे वाला के खिलाफ कानपुर के जाजमऊ थाने में यह मुकदमा दिसंबर 2022 में दर्ज हुआ था.
जमानत के समर्थन में कहा गया था कि इरफान सोलंकी के विरुद्ध राजनीतिक रंजिश के कारण मुकदमे दर्ज कराए गए हैं. तीनों अभियुक्तों को अन्य सभी मुकदमों में जमानत मिल चुकी है. ऐसे में गैंगस्टर एक्ट के मामले में भी जमानत मंजूर की जाए. कोर्ट ने तथ्यों पर विचार के बाद इरफान सोलंकी सहित तीनों आरोपियों की जमानत मंजूर कर ली है.
हाईकोर्ट ने तीनों की जमानत अर्जी पर एक साथ सुनवाई की और दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद गत दो सितंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था. तीनों के खिलाफ कानपुर नगर के जाजमऊ थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है.
बता दें कि इरफान सोलंकी को हाल ही में अन्य मामलों में भी जमानत मिल चुकी है. मार्च 2025 में रंगदारी के एक मामले में उन्हें और उनके भाई रिजवान सोलंकी को जमानत मिली थी. इसके अलावा 1 अक्टूबर 2024 को बांग्लादेशी नागरिक के फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने के आरोप में उन्हें जमानत मिली है.
आजीवन कारावास (Jail) 10 साल की सजा में तब्दील

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास (Jail) की सजा को 10 साल की कैद की सजा मे तब्दील कर दी है और 13 साल से जेल में बंद युवक को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है. यह आदेश जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस तेज प्रताप तिवारी की बेंच ने मुन्ना लाल की जेल अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है.
थाना कीडगंज निवासी मुन्ना लाल पर पीड़िता के पिता ने दुष्कर्म और पॉक्सो के आरोप में एफआईआर दर्ज कराया था. ट्रायल कोर्ट ने 2017 में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सजा के खिलाफ जेल अपील दाखिल की गई.
याची अधिवक्ता अतुल कुमार श्रीवास्तव व वकार अहमद में दलील दी कि मेडिकल जांच रिपोर्ट के अनुसार दुष्कर्म होने की पुष्टि नहीं हुई है. पाक्सो एक्ट में 10 साल से अधिक की सजा नहीं हो सकती है. इसलिए आजीवन कारावास की सजा तय सजा से अधिक है.आरोपी 13 साल की सजा (Jail) काट चुका है. वह नैनी जेल में बंद है. ऐसे में उसे बरी किया जाना चाहिए.
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