लगातार हारने के बाद उसी मामले में criminal proceedings (482) कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग
सीजेम सिद्धार्थ नगर के समक्ष criminal proceedings रद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिविल मुकद्दमे में हाईकोर्ट तक लगातार हारने व इसी दरमियान दबाव डालने के लिए उसी मामले में कायम criminal proceedings कार्यवाही (482) को कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग करार देते हुए रद कर दिया है. कोर्ट ने कहा बैंक डेट से फर्जी वसीयत तैयार करने का आरोप लगाते हुए मृत संपत्ति स्वामी की अकेली लड़की ने निषेधाज्ञा वाद दायर किया जो खारिज हो गया. इसके खिलाफ अपील व द्वितीय अपील भी खारिज हो गई. यह आदेश अंतिम हो गया. इसलिए उसी मामले में criminal proceedings नहीं चलाई जा सकती.
यह आदेश जस्टिस प्रशांत कुमार ने सिद्धार्थनगर के परशुराम व अन्य की criminal proceedings को रद करने की मांग में दाखिल धारा 482 भारतीय दंड संहिता को स्वीकार करते हुए दिया. याचिका पर अधिवक्ता सैयद वाजिद अली ने बहस की. बता दें कि कि 19 जून 2006 को विपक्षी ने इस्तगासा दायर किया कि वह कुन्नू की इकलौती पुत्री है. शादी के बाद वह नेपाल में रह रही है. उसके पिता कुन्नू की 3 फरवरी 2005 को मौत हो गई.

याची व अन्य आरोपियों ने बैंक डेट 28 अगस्त 88 से उनकी संपत्ति की फर्जी वसीयत तैयार कर पंजीकृत करा लिया. शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद सीजेएम सिद्धार्थ नगर ने आरोपी याचियों को सम्मन जारी किया. जिसे पूरी criminal proceedings के साथ रद करने की मांग में याचिका दायर की गई थी. याची का कहना था वहीं लोग मृत कुन्नू की सेवा कर रहे थे.वसीयत में बेटी को भी 1/5 शेयर दिया गया है
इसपर निषेध के लिए विपक्षी पुत्री ने सिविल वाद दायर किया जो खारिज हो गया. इसके खिलाफ अपील भी खारिज हो गई, फिर द्वितीय अपील भी खारिज हो गई. आदेश फाइनल हो गया. सिविल वाद खारिज होने के बाद criminal proceedings कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है. याचियों के खिलाफ कोई criminal proceedings case नहीं बनता. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सैयद यासिर इब्राहिम केस के फैसले का हवाला भी दिया. हालांकि सरकारी वकील ने कहा फर्जी वसीयत मामले में criminal proceedings सही है और सीजेएम का criminal proceedings में सम्मन आदेश सही है जिसे कोर्ट ने सही नहीं माना.
वाराणसी में ज्वैलरी शॉप में चोरी के आरोपित को जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में एक आभूषण की दुकान से चोरी के आरोप में जेल में बंद उज्ज्वल उर्फ शिवम सेठ को सशर्त जमानत दे दी है. यह आदेश जस्टिस डॉ. गौतम चौधरी ने दिया है. वाराणसी के चौक थाने में उज्ज्वल उर्फ शिवम सेठ पर आभूषण की दुकान में चोरी व अन्य आरोप में मुकदमा दर्ज है. उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. आरोपी के अधिवक्ता प्रिंस कुमार श्रीवास्तव ने दलील दी कि उज्ज्वल निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है.

आभूषण की दुकान में सेल्समैन का काम करने वाले सह-आरोपी के बयान के आधार पर आवेदक को आरोपी बनाया गया है. सह-आरोपी को पहले ही इस अदालत की समन्वय पीठ से जमानत मिल चुकी है. इसलिए, आवेदक को भी समानता के आधार पर जमानत मिलनी चाहिए. आवेदक 30 नवंबर 2024 से जेल में बंद है. शासकीय अधिवक्ता और शिकायतकर्ता के वकील ने जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया. अदालत ने पक्षों को सुनने के बाद सशर्त जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई.
डकैती कांड में तीन दर्जन से अधिक दोषियों को मिली जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया की बहुचर्चित डकैती के आरोपी तीन दर्जन से अधिक दोषियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला तथा न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने मुन्ना उर्फ अजय कुमार सहित 27 की सजा के खिलाफ अपीलों पर दाखिल जमानत अर्जी पर दिया है. पीठ ने कहा कि जब समान भूमिका वाले अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, तो अन्य से भेदभाव नहीं किया जा सकता.
18 जनवरी 1995 को खम्पार (अब श्रीरामपुर) थानाक्षेत्र में घर में घुसकर लूटपाट, मारपीट और जानलेवा हमले की घटना हुई थी, जिसमें 58 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. फरवरी 2024 में देवरिया के सत्र न्यायालय ने सभी को दोषी मानते हुए दस वर्ष कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी. दोषियों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर ज़मानत की मांग की . कोर्ट ने समान अपराध पर समान व्यवहार के आधार पर सह आरोपियों की भी जमानत मंजूर कर ली.
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