Cricketer Yash dayal की BNSS की धारा 69 में गिरफ्तारी पर रोक
यौन उत्पीड़न का क्रिकेटर पर दर्ज है मामला

Cricketer Yash dayal की यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तारी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. रायल चैलेंजर्स बंगलुरु के लिए आईपीएल में खेलने वाले तेज गेंदबाज प्रयागराज निवासी हैं. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अनिल कुमार दशम की बेंच ने Cricketer Yash dayal की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी व बृजेश सहाय, अधिवक्ता गौरव त्रिपाठी, रघुवंश मिश्र व भव्य सहाय और अभियोजन पक्ष से सरकारी वकील की दलीलों को सुनने के बाद मंगलवार को सुनाया.
याचिका में Cricketer Yash dayal (यश दयाल) के खिलाफ इसी साल छह जुलाई को गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने दर्ज कराई गई एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी. Cricketer Yash dayal (यश दयाल) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि किसी व्यक्ति को बीएनएस की धारा 69 के तहत अपराध का दोषी केवल तभी माना जा सकता है, जब यह स्थापित हो जाए कि उसने किसी महिला से शादी करने का वादा बिना किसी इरादे के पूरा करने के लिए किया था. एफआईआर के अवलोकन करने से यह प्रतीत होता है कि शिकायतकर्ता पिछले पांच वर्षों से याची के साथ संबंध में थी.

उसने बहुत लंबे समय तक चुप्पी साधे रखी और जैसे ही याची का चयन भारतीय क्रिकेट टीम में हुआ तो वह सामने आ गयी और थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करा दी, यह प्राथमिकी गलत इरादे से और मनमानी मांगों को पूरा करने के लिए दर्ज करा दी गई. याची ने संबंध के दौरान शिकायतकर्ता को वित्तीय सहायता प्रदान की थी. वित्तीय लेनदेन को कोर्ट के समक्ष अवलोकन के लिए प्रस्तुत किया था.
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि याची Cricketer Yash dayal (यश दयाल) ने शिकायतकर्ता से कभी भी कोई झूठा वादा नहीं किया था. इसके अलावा एफआईआर में लगाए गए आरोप यह नहीं बताते हैं कि याची ने शिकायतकर्ता के साथ छलपूर्ण साधनों से यौन संबंध बनाए हैं.
धारा 69 की व्याख्या छलपूर्ण साधनों को परिभाषित करते हुए यह बताती है कि इसमें रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, प्रेरणा या विवाह के बाद पहचान को दबाने के लिए किसी भी अन्य बात को शामिल किया जाएगा. सरकारी वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने एफआईआर में बताया है कि याची उसका शारीरिक रूप से शोषण कर रहा था और पिछले पांच वर्षों से शारीरिक संबंध बना रहा था.

याची ने शिकायतकर्ता को विवाह के बहाने अपने परिवार से भी मिलवाया था. याची द्वारा शिकायतकर्ता को अपने परिवार के सदस्यों के साथ जोड़ने का तरीका यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि वह विवाह का झूठा वादा कर रहा था.
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि एफआईआर के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि पक्षकारों के बीच संबंध पांच वर्षों तक जारी रहा. इस स्तर पर यह निर्धारित करना मुश्किल है कि विवाह का कोई वादा था या यदि कोई ऐसा वादा था तो यह शुरू से ही यौन सहमति प्राप्त करने के इरादे से झूठा था. कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए राज्य सरकार व शिकायतकर्ता से याचिका पर जवाब मांगा है.