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2015 Constable Recruitment: नियुक्ति के बाद अनफिट मिले कांस्टेबलों की विशेषज्ञ मेडिकल बोर्ड से जांच कराने का निर्देश

दिशा-निर्देशों के विपरीत अनफिट घोषित करने का आदेश रद

2015 Constable Recruitment

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने Constable जीडी भर्ती 2015 के कई उम्मीदवारों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें चिकित्सकीय रूप से अनफिट घोषित करने की मेडिकल रिपोर्ट को रद कर दिया है और मर्ज के डाक्टरों का नया मेडिकल बोर्ड गठित कर नियत तिथि समय पर बुलाकर दुबारा मेडिकल जांच का निर्देश दिया है और कहा है कि यदि मेडिकल जांच में फिट पाये गये तो उन्हें वरिष्ठता के साथ नियुक्ति दी जाय. यह आदेश जस्टिस अजित कुमार की एकल पीठ ने चंद्र कांत व दर्जनों अन्य याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है.

याचियों का कहना था कि उनकी मेडिकल जांच में दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया और जांच मर्ज के विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा नहीं की गई थी. 2015की कांस्टेबल (Constable) भर्ती में चयनित याचियों का मेडिकल कराया गया. नियुक्ति आदेश 2 मई, 2018 और 3 मई, 2018 को जारी किए गए थे. हालांकि, नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद, याचिकाकर्ताओं (Constable) को फिर से मेडिकल जांच से गुजरना पड़ा, जिसमें उन्हें अस्थायी बीमारियों के कारण चिकित्सकीय रूप से अनफिट पाया गया.

कई याचिकाकर्ताओं (Constable) को विभिन्न अस्थायी बीमारियों से ग्रसित पाया गया था. चंद्रकांत आंतरिक बवासीर से पीड़ित थे. पुष्पराज सिंह को तपेदिक था. कमलेश कुमार में सुनने में कमी पाई गई. नीतीश कुमार में अपर्याप्त डेंटल पॉइंट थे. सुनील कुमार पटेल हार्निया से पीड़ित थे. शिव प्रसाद गुप्ता को हाइड्रोसील था. अरविंद सिंह पटेल को आंतरिक बवासीर था. महमूद अली  को फेशियल पाल्सी था. राजेश कुमार को हाईब्लड प्रेशर की शिकायत थी. विवेक कुमार शुक्ला भी आंतरिक बवासीर से पीड़ित थे. हिमांशु शुक्ला  को दूर दृष्टि और अधिक वजन की समस्या थी. शिव कुमार को विटिलिगो ग्लैंड पेनाइल और अपर्याप्त डेंटल पॉइंट थे.

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याचिकाकर्ताओं (Constable) की ओर से अधिवक्ता मनीषा चतुर्वेदी व वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने तर्क दिया कि सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल द्वारा उन्हें चिकित्सकीय रूप से फिट घोषित किए जाने के बावजूद, रिव्यू मेडिकल बोर्ड ने उन्हें फिर से अनफिट घोषित कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि रिव्यू मेडिकल दिशानिर्देशों के अनुसार आयोजित नहीं किया गया था और बोर्ड में संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं थे. कुछ मामलों में, जैसे आंतरिक बवासीर, सर्जरी के बाद पर्याप्त “सांस लेने का समय” नहीं दिया गया था.

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कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिवादी यह दिखाने में विफल रहे कि रिव्यू मेडिकल बोर्ड में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की राय का खंडन करने के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट और त्रिपुरा हाईकोर्ट के समान मामलों का भी उल्लेख किया, जहां इसी तरह की परिस्थितियों में उम्मीदवारों को राहत मिली थी.

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के मेडिकल रिव्यू परीक्षाओं को रद्द कर दिया और सरकार को एक महीने के भीतर संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सुपर विशेषज्ञों वाले एक नए बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया. कहा यदि याचिकाकर्ताओं को चिकित्सकीय रूप से फिट पाया जाता है, तो उन्हें उनकी नियुक्ति आदेशों के अनुसार शामिल होने की अनुमति दी जाएगी और उनकी वरिष्ठता बहाल की जाएगी.

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