बिहार SIR: अवैधता है तो अंतिम Voter List का प्रकाशन मायने नहीं रखेगा, सुनवाई 7 अक्टूबर तक स्थगित

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में Voter List के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 7 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी. सोमवार को याचिकाकर्ताओं ने अंतिम Voter List के प्रकाशन की तारीख 1 अक्टूबर से पहले सुनवाई की माँग की थी. प्रकरण की सुनवाई कर रही जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि 28 सितंबर को दशहरा अवकाश के कारण न्यायालय एक सप्ताह के लिए बंद रहेगा.
कोर्ट ने कहा कि अंतिम Voter List के प्रकाशन से मामले के निर्णय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. याचिकाकर्ताओं को आश्वासन दिया कि यदि कोई अवैधता है तो वह Voter List के अंतिम रूप दिए जाने के बावजूद हस्तक्षेप करेगा.
Voter List के अंतिम प्रकाशन से कोर्ट को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, अगर हमें लगता है कि सूची में कुछ अवैधता है
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि Voter List के अंतिम प्रकाशन से कोर्ट को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, अगर हमें लगता है कि सूची में कुछ अवैधता है. यह टिप्पणी एडीआर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा प्रस्तुत इस दलील के जवाब में की गई कि चुनाव आयोग एसआईआर प्रक्रिया में अपने स्वयं के नियमों और विनियमों का पालन नहीं कर रहा है. सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग कानूनी आदेश के बावजूद प्राप्त आपत्तियों को अपलोड नहीं कर रहा है.

सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट से आग्रह किया कि चुनाव आयोग को आपत्तियों और दावों पर दैनिक बुलेटिन प्रकाशित करने का निर्देश दिया जाए. चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि चुनाव आयोग साप्ताहिक अपडेट दे रहा है क्योंकि आपत्तियों की जाँच के कठिन कार्य के दौरान दैनिक अपडेट देना संभव नहीं था.
जस्टिस सूर्यकांत ने सुझाव दिया कि जानकारी सार्वजनिक करने से पारदर्शिता बढ़ेगी. आपने जो किया है उसे जहाँ तक सार्वजनिक कर सकते हैं… . जस्टिस बागची ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग प्राप्त आपत्तियों की संख्या सार्वजनिक कर सकता है. शंकरनारायणन ने अनुरोध किया कि इन टिप्पणियों को आदेश का हिस्सा बनाया जाए, लेकिन पीठ ने ऐसा नहीं किया.
सीनियर एडवोकेट डॉ. एएम सिंघवी और एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट से मामले की सुनवाई पहले करने का आग्रह किया. ग्रोवर ने दलील दी कि नई बिहार विधानसभा का गठन 22 नवंबर तक होना है. इसका अर्थ है कि चुनावों की अधिसूचना अक्टूबर के मध्य तक जारी कर दी जाएगी. इसलिए, प्रभावी हस्तक्षेप के लिए बहुत कम समय है.
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