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BHS के प्रिंसिपल को 3 जुलाई तक राहत

फर्जी प्रमाणपत्र देने का है आरोप, 3 जुलाई को सुनवाई

BHS के प्रिंसिपल को राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी प्रमाणपत्र देकर प्राचार्य पद पाने की धोखाधड़ी के आरोपी BHS के प्रिंसिपल डेविड ऐंड्रयू ल्यूक की याचिका की सुनवाई 3 जुलाई को होगी. सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि याची (BHS के प्रिंसिपल) के हस्ताक्षर की जांच के लिए फोरेंसिक लैब में भेजा गया है. रिपोर्ट आने में कुछ समय लगेगा.

याची (BHS के प्रिंसिपल) को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है तो अगली सुनवाई की तिथि तक भी गिरफ्तारी नहीं होगी. इस कथन के बाद कोर्ट ने कहा अंतरिम आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं है.

यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने BHS के प्रिंसिपल डेविड ए ल्यूक की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

याची पर आरोप है कि उसने छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में एमए कोर्स में प्रवेश ही नहीं लिया किन्तु विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र स्वयं सत्यापित कर 2012 में प्राचार्य की नियुक्ति के लिए जमा किया है.

बता दें कि 27.5.2025 को दर्ज करायी गयी एफआईआर में आरोप है कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2012 में एक विज्ञापन के माध्यम से BHS के प्रिंसिपल के पद पर नियुक्ति के लिए कुछ स्व-सत्यापित प्रमाण-पत्रों के साथ आवेदन किया था.

उन्होंने स्व-सत्यापित प्रमाण-पत्र (वर्ष 2007 की मार्कशीट के साथ) संलग्न किये थे जो उन्होंने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से रोल नंबर 361222 के साथ प्राप्त किए थे. जांच करने पर यह प्रमाण पत्र उस कोर्स का पाया गया, जिसके लिए याचिकाकर्ता ने कभी आवेदन ही नहीं किया था.

इसका अर्थ यह है कि याचिकाकर्ता ने कानपुर विश्वविद्यालय की एम.ए. कक्षाओं में कभी प्रवेश नहीं लिया था, लेकिन उसने अपने प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए थे. याचिकाकर्ता (BHS के प्रिंसिपल) की ओर से उपस्थित वकील ने रिट याचिका के पैराग्राफ 9 पर भरोसा किया है और कहा है कि जिन दस्तावेजों को याचिकाकर्ता द्वारा कथित रूप से प्रस्तुत किया जाना बताया गया है, वास्तव में वे प्रथम सूचक द्वारा स्वयं गढ़े गए थे.

एजीए सीबी धर दुबे ने दलील दी कि स्व-सत्यापित दस्तावेजों पर हस्ताक्षरों की जांच फोरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा की जा रही है और फोरेंसिक प्रयोगशाला से सटीक परिणाम प्राप्त करने में कुछ समय लग सकता है. ऐसी परिस्थितियों में, हम इस मामले को 3.7.2025 के लिए नए सिरे से पोस्ट करना उचित समझते हैं.

श्री दुबे ने न्यायालय के समक्ष कहा है कि चूंकि एफआईआर दर्ज होने के बाद याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया है, इसलिए उसे सूचीबद्ध करने की अगली तारीख तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

सोसायटी में निवेशकों का पैसा हड़पने के आरोपी की सशर्त जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुराज्यीय सहकारी समिति द्वारा निवेशकों के स्कीम के जरिए जमा धन के गबन मामले में आरोपी विशाल खुराना की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है.याची के खिलाफ ललितपुर के तालबेहट थाने में एफआईआर दर्ज है और वह 8 मई 25से जेल में बंद हैं.

यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने याची अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा को सुनकर दिया है. इनका कहना था कि सोसायटी के 26 नामित लोगो के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज है जो सोसायटी में कार्यरत हैं. याची एफआईआर में नामित नहीं है न ही पदाधिकारी है और न ही खाते का संचालन करता है.

निवेश से उसका कोई सरोकार नहीं है. याची को कोई लाभ नहीं मिला है न ही आपराधिक सिंडीकेट का सदस्य है. उसे बलि का बकरा बनाया गया है और पुलिस ने उसे झूठे केसों में फंसाया है. वह विचारण में सहयोग के लिए तैयार है. इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए.

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