पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां की डूंगरपुर कांड में Bail granted
सजा के विरुद्ध अपील के साथ दाखिल की थी जमानत अर्जी

पूर्व सपा सांसद व समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की डूंगरपुर कांड के मुकदमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर (Bail granted) कर ली है. यह आदेश जस्टिस समीर जैन ने इस मामले में रामपुर के विशेष न्यायालय एमपी/एमएलए से मिली सजा के विरुद्ध अपील के साथ दाखिल जमानत अर्जी पर बुधवार को दिया. कोर्ट ने ठेकेदार बरकत अली और मोहम्मद आजम खान की अर्जियों पर एकसाथ सुनवाई के बाद नौ अगस्त को (Bail granted) फैसला सुरक्षित कर लिया था.
बता दें कि 30 मई 2024 को रामपुर की स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए ने मोहम्मद आजम खान को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. आजम खान ने सजा के फैसले को आपराधिक अपील के माध्यम से चुनौती दी है. डूंगरपुर मामले में अबरार ने अगस्त 2019 में रामपुर के गंज थाने में आजम खान, रिटायर सीओ आले हसन खान और ठेकेदार बरकत अली के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
शिकायतकर्ता अबरार के अनुसार दिसंबर 2016 में आजम खान, रिटायर सीओ आले हसन खान और ठेकेदार बरकत अली ने उसे पीटा था. उन्होंने उसके घर को भी तोड़ दिया और जन से मारने की धमकी दी. इस मामले में विशेष अदालत एमपी/एमएलए ने आजम खान को 10 साल और ठेकेदार बरकत अली को सात साल कैद की सजा सुनाई थी.
डूंगरपुर बस्ती में रहने वाले लोगों ने कॉलोनी को खाली कराने के नाम पर 12 मामले दर्ज किए थे. रामपुर के गंज थाने में लूट, चोरी, हमला सहित विभिन्न धाराओं के तहत ये मुकदमे दर्ज किए गए थे.
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आपराधिक मामले में आरोपी किशोर की Bail granted
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जौनपुर निवासी राजेश कुमार के नाबालिग पुत्र की पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए उसे जमानत पर छोड़े जाने (Bail granted) का निर्देश दिया है.
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से सुश्री अनीता सिंह एडवोकेट हाइकोर्ट कोर्ट में बहस करते हुए बताया कि याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने वाली पीड़ित नाबालिग बालिका की माता नाबालिग बालिका का चिकित्सीय परीक्षण कराने से इंकार कर दिया.
जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा कि पुनरीक्षणकर्ता किशोर है और उसे किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 का लाभ मिलना चाहिए. साथ ही जिला प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार पुनरीक्षणकर्ता के आपराधिक गतिविधियों के संलिप्त होने की संभावना कम है. यद्यपि उपरोक्त पुनरीक्षण का सहायक शासकीय अधिवक्ता एवं वादी के अधिवक्ता द्वारा विरोध किया गया था.
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