2.5 साल से फरार अशरफ के करीबी को अग्रिम जमानत नहीं
बरेली जेल में फर्जी दस्तावेजों से बंदी से मुलाकात करने का है आरोप

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक अशरफ (मृतक) के करीबी मोहम्मद अजहर की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अजहर पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अशरफ से बरेली जेल में मुलाकात करने और उसके साथ आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप है. यह आदेश जस्टिस जस्टिस समीर जैन ने दिया है.
याची अधिवक्ता का कहना था कि वह प्राथमिकी में नामित नहीं है. उसका नाम बाद में विवेचना के दौरान शामिल किया गया. उसके खिलाफ कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है. यह भी आरोप है कि उसने अपने आधार कार्ड पर कई लोगों की अशरफ से मुलाकात करवाई थी. प्राथमिकी सात मार्च 2023 को दर्ज हुई है किन्तु विवेचना अभी भी लंबित है. पुलिस याची को गिरफ्तार करना चाह रही है. इसलिए अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की गयी है.
याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय का कहना था कि याची पर गंभीर आरोप है. वह विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है. वह लगातार गिरफ्तारी से बच रहा है. उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट और कुर्की का नोटिस भी जारी हो चुका है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा याची पुलिस विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है. अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं है. कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है.

अब्बास अंसारी ने दो साल की सजा को दी चुनौती
माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे व पूर्व विधायक अब्बास अंसारी ने हेट स्पीच मामले में एमपी/एमएलए विशेष कोर्ट मऊ से मिली दो साल की सजा पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.
बता दें कि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट मऊ ने 31 मई को 2 वर्ष की सजा और 3000 जुर्माना लगाया था. इसी आधार पर एक जून 2025 को उनकी विधायक चली गई थी. सजा के खिलाफ उनकी अपील को जिला जज मऊ की अदालत ने 5 जुलाई को खारिज कर दिया था. इसे अब्बास ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अब्बास अंसारी ने अपने अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय के माध्यम से यह याचिका दाखिल की है. अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है.
दहेज हत्या आरोपी की सशर्त Bail मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने षडयंत्र व दहेज हत्या के आरोपी अंतिश कुमार उर्फ अंतीश कुमार की सशर्त Bail मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन की देरी का स्पष्टीकरण नहीं दिया गया और पंचनामा के समय मृतका के पिता व भाई मौजूद थे, किसी ने पुलिस को दहेज उत्पीड़न की शिकायत नहीं की.

यह आदेश जस्टिस कृष्ण पहल ने याची के वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र, चंद्र केश मिश्र व अभिषेक मिश्र को सुनकर दिया है. याची के खिलाफ प्रयागराज के कर्नलगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई. आरोप लगाया गया कि 14 फरवरी 24 की शाम सात से आठ बजे के बीच दहेज में कार न देने के कारण बहू की हत्या कर दी गई. दो साल पहले 15 अप्रैल 22 को शादी हुई थी.
याची अधिवक्ता का तर्क था कि 15 फरवरी को पंचनामा के समय परिवार के सदस्य मौजूद थे. दरोगा ने अपने बयान में साफ कहा है कि किसी परिवार वाले ने दहेज की शिकायत नहीं की. 14 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई किंतु देरी का कारण नहीं बताया गया है. सीडीआर से स्पष्ट है कि याची घटना के समय 400 किमी दूर संत कबीर नगर में मौजूद था.
इसलिए उसके खिलाफ हत्या का आरोप झूठा है. फंदे से झूलने के कारण मौत होने की रिपोर्ट है. याची का आपराधिक इतिहास नहीं है. निर्दोष होने के बावजूद याची 6 जून 24 से जेल में बंद हैं. सरकारी वकील ने Bail का विरोध किया. किंतु आपराधिक इतिहास न होने की बात स्वीकार की.जिसपर कोर्ट ने याची की सशर्त जमानत मंजूर कर ली.