निरस्त Shop का आवंटी निरस्त्रीकरण के खिलाफ याचिका में जरूरी पक्षकार
कोर्ट ने कहा, बाद में आवंटी को सुनवाई का अधिकार, बेंच ने किया एकलपीठ का आदेश रद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सस्ते गल्ले की दुकान (Shop) का लाइसेंस निरस्त करने की वैधता की चुनौती याचिका में किसी को Shop लाइसेंस आवंटित किया गया है तो उसे पक्षकार बनाना जरूरी है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि नये Shop आवंटी को कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है किन्तु उसे निरस्त्रीकरण आदेश का बचाव करने के लिए पक्ष रखने का अधिकार है.
बेंच ने सिंगल बेंच के अपीलार्थी को पक्षकार बनाते बगैर पारित आदेश को रद कर दिया है और अपीलार्थी को याचिका में पक्षकार बनाकर गुण-दोष पर सुनवाई के लिए प्रकरण एकलपीठ को वापस कर दिया है. यह आदेश चीफ जस्टिस अरूण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने हीरामणि यादव की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है. अपील पर अधिवक्ता इंदु शेखर त्रिपाठी ने बहस की.
बता दें कि सस्ते गल्ले की दुकान (Shop) का लाइसेंस एसडीएम केराकत जिला जौनपुर ने 2020 में निरस्त कर दिया गया और 2021 में एकता स्वयं सहायता समूह को अध्यक्ष के मार्फत Shop आवंटित कर दिया गया. लाइसेंस निरस्त करने को चुनौती दी गई. किन्तु नये Shop आवंटी को पक्षकार नहीं बनाया. कहा गया कि वह जरुरी पक्षकार नहीं है. सिंगल बेंच ने याचिका स्वीकार कर ली.
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जिसे अपील में चुनौती दी गई कि अपीलार्थी जरूरी पक्षकार है उसे पक्षकार नहीं बनाया गया और उसे सुने बगैर आदेश दिया गया है. दोनों तरफ से परस्पर विरोधी तर्क दिए गए और दलीलें भी पेश की गई.

याची का कहना था कि अपीलार्थी को उसकी दुकान (Shop) निरस्त होने के बाद दूकान दी गई है. याची ने निरस्त्रीकरण को चुनौती दी है. इससे बाद में आवंटी का कोई सरोकार नहीं. वह जरूरी पक्षकार नहीं है. इसलिए पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है.
किंतु अपीलार्थी का कहना था कि याची की दुकान (Shop) निरस्त कर उसे आवंटित किया गया है. यदि याची के पक्ष में आदेश होता है तो उसका हित प्रभावित होगा. इसलिए वह जरूरी पक्षकार है. उसे सुनकर ही निरस्त्रीकरण पर फैसला लेना चाहिए. बेंच ने अपीलार्थी के तर्क में बल पाते हुए उसे पक्षकार बनाकर याचिका की नये सिरे से सुनवाई करने का आदेश दिया है.