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Murder के मामले में 44 वर्ष बाद मृतक को मिला न्याय

आरोपी की सजा के खिलाफ अपील खारिज

Murder के मामले में 44 वर्ष बाद मृतक को मिला न्याय

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के Murder के मामले में उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए दोषी अभियुक्त नाहर सिंह की अपील खारिज कर दी है. जमानत पर छूटे आरोपी को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है और समर्पण न करने पर अदालत को कार्रवाई करने की छूट दी है. अपील पर पीड़ित के अधिवक्ता  शचीन्द्र कुमार मिश्र ने अपील का विरोध किया.

जुड़ावन सिंह ग्राम भीखमपुर के निर्वाचित ग्राम प्रधान थे तथा विद्यालय के प्रबन्धक थे जिनकी हत्या (murder) कर दी गई थी. कहा गया कि व्यावहारिक जीवन में ग्रामप्रधान व प्रबन्धक जैसे लोग हमेशा अपने से जुड़े लोगों के साथ ही कही चलते हैं, ऐसे में अगर मृतक (murder) से  खास जुड़े लोग ही घटना के गवाह है तो उनकी गवाही को संदेह से परे माना जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा मृतक (murder) की चोट मेडिकल आफिसर के साक्ष्य अनुसार दो अलग अलग हाथियार व फायर से है. ऐसे में एक ही अभियुक्त से दो हथियार से गोली चलाने के तर्क  को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. स्पेशल रिपोर्ट  किसी वजह से देर से भेजा जाता है तो इस आधार पर अभियोजन के सीधे साक्ष्यों की अनदेखी नहीं की जा सकती है तथा इस आधार पर अभियुक्त को संदेह का लाभ नही दिया जा सकता है.

दौरान अपील एक अभियुक्त महानारायन की मृत्यु हो गई थी लेकिन दूसरा अभियुक्त नाहर सिंह अभी भी जीवित है. घटना में पीडित मृतक परिवार विगत 44 वर्षों से न्याय का बाट जोह रहा था. यह फैसला जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस तेज प्रताप तिवारी ने सुनाया.

मालूम हो कि शिकायतकर्ता रमेश सिंह अपने पिता के साथ बस में बैठकर 26 अक्टूबर 81 को वाराणसी कचेहरी जा रहा था. अभियुक्त भी बस में बैठे और कुछ दूर चलने के बाद पिस्तौल निकाली और जुड़ावन सिंह के सिर में गोली मारी थी. जिनकी मौत हो गई. घटना की एफआईआर थाना मिर्जामुराद में दर्ज की गई. सत्र अदालत ने अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था और दो अभियुक्तो को सजा सुनाई थी.

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जानलेवा हमले के मामले में बच्चा पासी की गिरफ्तारी पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर बच्चा पासी की जानलेवा हमले के मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है साथ प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. बच्चा पासी की याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने सुनवाई की. बच्चा पासी के खिलाफ धूमनगंज थाने में 12 सितंबर को बच्चा पासी और अन्य लोगों के खिलाफ जानलेवा हमला करने और मार पीट आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था जिसमें गिरफ्तारी पर रोक के लिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.

कोर्ट ने कहा कि याची की भूमिका घटना की साजिश रचने की बताई गई है. किसी भी हमलावर को नामजद नहीं किया गया है. हालांकि याची का आपराधिक इतिहास है जिसे उसने याचिका में स्पष्ट किया है.कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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