हत्यारोपी की आयु (18) को लेकर Conflicting stand, HC का हस्तक्षेप से इंकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी की तरफ से नाबालिग बताने की कोशिश (stand) करने पर नाराजगी जतायी है. कोर्ट में पहले बताया गया कि उम्र को प्रमाणित करने वाला कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. मेडिकल रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि युवक नाबालिग नहीं है तो कोर्ट में दस्तावेज पेश करके यह प्रमाणित करने की कोशिश की गयी कि वह घटना के दिन नाबालिग था.
दो जजों की बेंच ने विरोधाभासी स्टैड (stand) लेने पर याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने हत्या के आरोपी कथित नाबालिग की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया है.
फतेहपुर के हथगांव थाने में एफआईआर दर्ज की गई. आरोपी ने स्वयं को नाबालिग बताते हुए किशोर न्याय बोर्ड फतेहपुर में अर्जी दी. कहा आयु निर्धारण के कोई दस्तावेज नहीं है. आयु की पड़ताल के लिए ओसीफिकेशन मेडिकल जांच कराई जानी चाहिए. इसके आधार पर मेडिकल परीक्षण कराया गया तो पता चला कि उम्र करीब 19 साल है.
पहले मेडिकल से उम्र पता लगाने की मांग फिर stand चेंज कर पेश किया डाक्यूमेंट
यह तथ्य सामने आने के बाद नाबालिग की तरफ से अधिवक्ता ने कोर्ट में stand चेंज कर कक्षा नौ का दस्तावेज प्रस्तुत किया और इसके जरिए साबित करने की कोशिश की कि घटना के दिन युवती की उम्र 18 साल पूरी नहीं हुई थी. मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक गया. सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने को कहा.
अपील में चौधरी रघुनाथ सहाय इंटर कालेज हथगाव के प्रधानाचार्य ने माना कि एसआर रजिस्टर में कटिंग की गई है. 30 जून 14 को 15 अप्रैल 2001 बनाया गया है. कहा गया है कि यह लिपिकीय गलती थी. कोर्ट ने कहा गंभीर अपराध है. आरोपी नाबालिग साबित करने के लिए विरोधाभासी stand ले रहा. इसलिए कोई राहत नहीं दी जा सकती. याचिका खारिज कर दी.
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