सहज व्यापार के लिए GST, अफसर फेर रहे योजना पर पानी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा तथ्य नहीं छिपाये तो कार्रवाई अनुचित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार ने देश में व्यापार को आसान बनाने के लिए GST व्यवस्था लागू की, लेकिन राजस्व अधिकारी इसकी मूल मंशा के विरुद्ध काम करने पर तुले हुए हैं. योजना को विफल कर रहे. सेफकॉन लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक टैक्स याचिका (GST) को स्वीकार करते हुए जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने कहा कि जब करदाता द्वारा माल की वास्तविक आवा-जाही साबित कर दी गई हो और संबंधित प्राधिकारी द्वारा उसका खंडन नहीं किया गया हो, तो माल एवं सेवा कर (GST) अधिनियम, 2017 की धारा 74 के तहत कार्यवाही अनुचित है.
GST अधिनियम, 2017 की धारा 74 के प्रावधान के तहत कार्यवाही तब शुरू की जा सकती है जब करदाता ने भुगतान नहीं किया हो या कम भुगतान किया हो या गलत तरीके से धन वापस किया हो, या इनपुट-टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ उठाया गया हो या धोखाधड़ी या जानबूझकर गलत बयानी या तथ्यों को छिपाकर उसका उपयोग किया गया हो.
“जब सरकार को पता चला कि अधिनियम (GST) की धारा 74 की आड़ में विभिन्न डीलरों को परेशान किया जा रहा है, तो उसने 13 दिसंबर, 2023 को एक परिपत्र जारी किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यदि धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयानी या कर भुगतान से बचने के लिए तथ्यों को छिपाया गया हो, तो अधिनियम की धारा 74 के तहत कार्यवाही शुरू की जा सकती है, अन्यथा नहीं.”
कोर्ट की टिप्पणी
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याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यूनिमैक्स फार्मा केम, पुराना तालुका भिवंडी, ठाणे के साथ कुछ लेन-देन किए गए थे, जिनके लिए चालान, ई-वे बिल और परिवहन बिल तैयार किए गए थे. यह दलील दी गई कि सभी लेन-देन बैंकिंग माध्यमों से हुए थे और दूसरी कंपनी द्वारा लेन-देन की घोषणा की गई थी.
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