Waqf property की मान्यता के लिए अधिकारी की रिपोर्ट पर रोक, 5 वर्षों तक इस्लाम के पालन का प्रावधान स्थगित
Waqf संशोधन अधिनियम के प्रावधानों पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला
Waqf (संशोधन) अधिनियम 2025 के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सोमवार को चीफ जस्टिस आफ इंडिया बीआर गवई और जस्टिस अगस्टिन मसीह की बेंच फैसला सुनाया. दो जजों की बेंच ने सम्पूर्ण अधिनियम पर रोक लगाने से इंकार कर दिया और कहा कि कुछ प्रावधान ऐसे हैं जहां रोक की जरूरत है. बेंच ने अपने फैसले के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को 128 पेज के जजमेंट में समेटा है.
चीफ जस्टिस की बेंच ने Waqf property फैसले में लिखवाये तथ्य…

(i) संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 3 के खंड (आर) का भाग… “कोई भी व्यक्ति जो यह दर्शाता या प्रदर्शित करता है कि वह कम से कम पाँच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है”तब तक स्थगित रहेगा जब तक कि राज्य सरकार द्वारा इस प्रश्न का निर्धारण करने हेतु तंत्र प्रदान करने हेतु नियम नहीं बनाए जाते कि कोई व्यक्ति कम से कम पाँच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है या नहीं.
(ii) संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 3 सी की उपधारा (2) का प्रावधान… “बशर्ते कि ऐसी संपत्ति को तब तक Waqf संपत्ति नहीं माना जाएगा जब तक कि नामित अधिकारी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देता.” और संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 3 सी की उपधारा (3) और (4) के प्रावधान… “(3) यदि नामित अधिकारी संपत्ति को सरकारी संपत्ति मानता है, तो वह राजस्व रिकॉर्ड में आवश्यक सुधार करेगा और इस संबंध में राज्य सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. (4) राज्य सरकार नामित अधिकारी की रिपोर्ट प्राप्त होने पर बोर्ड को रिकॉर्ड में उचित सुधार करने का निर्देश देगी.” पर रोक लगा दी जाएगी
(iii) जब तक संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 3 सी के अनुसार वक्फ संपत्ति के शीर्षक के संबंध में मुद्दा ट्रिब्यूनल द्वारा संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 83 के तहत शुरू की गई कार्यवाही में अंतिम रूप से तय नहीं किया जाता है और उच्च न्यायालय द्वारा आगे के आदेशों के अधीन है, तब तक न तो Waqf को संपत्ति से बेदखल किया जाएगा और न ही राजस्व रिकॉर्ड और बोर्ड के रिकॉर्ड में प्रविष्टि प्रभावित होगी.

संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 3सी के तहत जांच शुरू होने से लेकर संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 83 के तहत न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम निर्धारण तक, अपील में उच्च न्यायालय के आगे के आदेशों के अधीन, ऐसी संपत्तियों के संबंध में कोई तीसरे पक्ष के अधिकार नहीं बनाए जाएंगे
(iv) जहां तक संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 9 के तहत गठित केंद्रीय Waqf परिषद का संबंध है, इसमें 22 में से 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. इसी प्रकार, जहां तक संशोधित वक्फ अधिनियम की धारा 14 के तहत गठित बोर्ड का संबंध है, इसमें 11 में से 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे
(v) संशोधित Waqf अधिनियम की धारा 23 के प्रावधान पर जहां तक संभव हो, बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को नियुक्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए जो मुस्लिम समुदाय में से पदेन सचिव है
(vi) यहां की गई टिप्पणियां संशोधित Waqf अधिनियम में निहित 128 प्रावधानों या उसके किसी प्रावधान की वैधता के संबंध में पक्षकारों को प्रस्तुत करने से नहीं रोकेंगी.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यद्यपि संपूर्ण संशोधन अधिनियम को चुनौती दी गई थी लेकिन “संपूर्ण कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनाया गया.” चुनौती मूलतः कुछ विशिष्ट प्रावधानों को लेकर थी. इसके आधार पर कोर्ट ने विवादित अधिनियम पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों के हितों की रक्षा करने और इन मामलों के लंबित रहने के दौरान समता को संतुलित करने के लिए कुछ प्रावधानों में परिवर्तन जरूरी है. इन्हें ही इसमें शामिल किया जा रहा है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, डॉ. राजीव धवन, डॉ. एएम सिंघवी, सीयू सिंह और हुजेफा अहमदी के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की और भारत संघ की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और प्रतिद्वंदी पक्षों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी, रंजीत कुमार, गोपाल शंकरनारायणन और गुरु कृष्ण कुमार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की.
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