murder accused की उम्रकैद की सजा बरकरार
सजा भुगतने के लिए समर्पण करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी (murder accused) विपुल और नरेश की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. किंतु उन्हें शस्त्र अधिनियम के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया है.और सजा रद कर दी है. कोर्ट ने आरोपियों (murder accused) का बंधपत्र व प्रतिभूति उन्मोचित करते हुए सजा पूरी करने के लिए अदालत में समर्पण करने का निर्देश दिया है.
यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने सजा के खिलाफ अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है. शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र व अभिषेक मिश्र ने विरोध किया. 2007 में मुजफ्फरनगर में राज कुमार को उनके स्कूल कार्यालय में गोली मार दी गई थी.

इस मामले में अपीलकर्ताओं (murder accused) के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया. 2014 में अपर सत्र न्यायाधीश ने दोषी करार देते हुए murder accused को आजीवन कारावास व पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने आर्म एक्ट की अलग सजा दी थी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दाखिल की गई.
अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी (murder accused) विपुल और नरेश ने जातीय वैमनस्यता के चलते राजकुमार की गोली मारकर हत्या की थी. बचाव पक्ष ने इसका विरोध किया. अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत हत्या का मकसद सही था और चश्मदीद गवाहों की गवाही दोषसिद्धि को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त थी.
कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा लेकिन शस्त्र अधिनियम के तहत दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया. अपील आंशिक रूप से स्वीकार हुई.
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