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Investigation के बिना सेवा से बर्खास्तगी त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया, 10 सितंबर को सुनवाई

इलाहाबाद HC ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव से मांगा जवाब

Investigation के बिना सेवा से बर्खास्तगी त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया, 10 सितंबर को सुनवाई

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पूर्ण जांच (Investigation) किए बिना ही किसी कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त करना त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया है. वह भी तब जबकि कर्मचारी की नियुक्ति स्थायी हो. कोर्ट ने सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को निर्देश दिया है कि वे हलफनामा देकर बतावें कि उन्होंने 1974 के नियमों के लागू होने के बावजूद, सेवा पुस्तिका में मूल रूप से दर्ज याचिकाकर्ता की जन्मतिथि की जाँच (Investigation) कानून के किस प्रावधान के तहत की. यह भी स्पष्ट करें कि संबंधित प्रतिवादी द्वारा अपनाई गई त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया के परिणामस्वरूप पारित आदेश को, अनुकरणीय लागत सहित रद्द करके रिट याचिका को अनुमति क्यों न दी जाए. मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी.

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक, आरोपित आदेश के अनुसरण में वादी से कोई वसूली नहीं की जाएगी. अगली नियत तिथि तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है तो सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज अगली नियत तिथि को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे. स्थायी अधिवक्ता इस आदेश को 24 घंटे के भीतर सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज को सूचित करेंगे.

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इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत शुक्ला और सरकार की तरफ से स्थायी अधिवक्ता मनीष कुमार ने पक्ष रखा. याचिकाकर्ता ने 15.07.2025 के सेवा समाप्ति आदेश पर दो आधारों पर प्रश्न उठाया है: (1) सम्पूर्ण विभागीय जाँच (Investigation) निर्धारित प्रक्रिया के विरुद्ध थी क्योंकि मामले में उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के अंतर्गत कोई मौखिक जाँच (Investigation) नहीं की गई थी.

 (2) उत्तर प्रदेश सेवा में भर्ती (जन्म तिथि निर्धारण) नियमावली, 1974 के प्रावधानों के मद्देनजर, सेवा में प्रवेश के समय सेवा अभिलेख में मूल रूप से दर्ज जन्म तिथि में परिवर्तन के लिए किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता, सिवाय इसके कि कर्मचारी के पास हाई स्कूल प्रमाणपत्र हो.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि याचिकाकर्ता ने 15.06.1998 को प्रतिवादी प्रतिष्ठान में सेवा में प्रवेश किया. उसने अपनी सेवा पुस्तिका में मूल रूप से दर्ज जन्मतिथि 12.03.1986 में परिवर्तन के लिए कभी आवेदन नहीं किया. यह भी तर्क दिया गया है कि यद्यपि याचिकाकर्ता हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफल नहीं हुआ है, फिर भी जारी किए गए प्रमाणपत्र में उसकी जन्मतिथि 12.03.1968 दर्ज है.

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इन परिस्थितियों में, यह तर्क दिया गया है कि प्रतिवादी प्रतिष्ठान को किसी तीसरे पक्ष की शिकायत पर विचार नहीं करना चाहिए था और मूल रूप से दर्ज जन्मतिथि की जाँच (Investigation) नहीं करनी चाहिए थी, विशेषकर तब जब उसकी जन्मतिथि हाई स्कूल प्रमाणपत्र द्वारा समर्थित थी. कोर्ट ने कहा कि आक्षेपित आदेश में उठाए गए तर्कों और अभिलेख में लाए गए अन्य दस्तावेजों के अवलोकन पर, प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत तर्क में दम प्रतीत होता है और आदेश निरस्त किए जाने योग्य है.

सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज इस मामले में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें कि और स्पष्ट करें कि किन परिस्थितियों में, विशेषकर उन परिस्थितियों में जब याचिकाकर्ता एक स्थायी कर्मचारी था, 1999 के नियमों के तहत, पूर्ण जाँच (Investigation) किए बिना ही, सेवा से बर्खास्तगी का बड़ा दंड दिया गया. अगली नियत तिथि तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है, तो सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज अगली नियत तिथि को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे.

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