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Human Rights Commission के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

गैर कानूनी रूप से ध्वस्तीकरण मामला, आयोग ने अधिकारियों के विरुद्ध दिया आदेश

Human Rights Commission के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर कानूनी तरीके से मकान के ध्वस्तीकरण पर Human Rights Commission द्वारा दिए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा  आदेश पारित किया जा चुका  है. यह आदेश जस्टिस सरल श्रीवास्तव और जस्टिस अरुण सिंह देशवाल उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर दिया.

महराजगंज के  पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के दो मंजिला पैतृक मकान व दुकानों को जिला प्रशासन ने  13 सितंबर 2019 को बुलडोजरों से ध्वस्त करा दिया था. इसकी शिकायत पीड़ित ने राष्ट्रीय Human Rights Commission से की थी. Human Rights Commission की टीम ने नवंबर 2019 में जांच की थी. जांच में अफसरों को दोषी पाया गया.

इसके बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (Human Rights Commission) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति  एच.एल. दत्तू ने 6 जुलाई 2020 को आदेश पारित किया और राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे पीड़ित को पाँच लाख रुपये का दंडात्मक मुआवजा दें. जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग तथा पुलिस विभाग के सभी दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुख्य सचिव कठोरतम विभागीय व दंडात्मक कार्रवाई करें, जिन्होंने शिकायतकर्ता के मकान को गिराया है.  पीड़ित पत्रकार की एफआईआर दर्ज करें तथा इसकी विवेचना सीबीसीआईडी से कराएं.

आयोग के आदेश को राज्य सरकार ने  हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी. जिसे सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में इसी प्रकरण निर्णीत होने के आधार पर खारिज कर दिया.

अलीगढ़ मुस्लिम विवि के डॉ. जितेंद्र कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में अलीगढ़ मुस्लिम विवि के आरोपी डॉ. जितेंद्र कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है. यह आदेश जस्टिस गौतम चौधरी की बेंच ने दिया है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से संबंद्ध जवाहर नेहरू मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार के खिलाफ 2022 में थाना सिविल लाइन में हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ आपत्ति जनक टिप्पणी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज है. उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की.

आरोपी के अधिवक्ता ने दलील दी कि वह निर्दोष हैं. उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं हैं. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. वह जांच में सहयोग करने के लिए तैयार है. कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करेगा. वहीं अपर शासकीय अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया. कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी सशर्त स्वीकार कर ली.

दस में से छः साल की सजा काटने के आधार पर आगे की सजा निलंबित

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 10 साल की सजा में से छः साल भुगत चुकी  कानपुर नगर  की सरिता उर्फ बिट्टू की बाकी सजा निलंबित कर दी है और जमानत बंध पत्र जमा करने का निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस मनोज बजाज ने दिया है.

याची के अधिवक्ता आदर्श शुक्ला ने बताया कि देवरानी पूनम कुमारी को मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर मारने के जुर्म के आरोप में थाना फजलगंज कानपुर नगर में धारा 304बी ,342 323 ,506 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज हुआ .जिसमें  अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कानपुर नगर ने सरिता उर्फ बिट्टू को 10 वर्ष के सश्रम का कारावास तथा 20000 के जुर्माने की सजा सुनाई है. जिसे  अपील में चुनौती दी गई है.

आरोपी का कहना है कि सजा निलंबित कर उसे जमानत पर रिहा किया जाए,अन्यथा अपील अर्थहीन हो जायेगी. कोर्ट ने आगे की सजा निलंबित रखने का आदेश दिया है.

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