MDA Hospital में Dircetor का पद independent एवं स्वीकृत है या नहीं, 31 तक रिपोर्ट दें
चिकित्सा शिक्षा सचिव को HC का निर्देश, 3 सितम्बर को सुनवाई

MDA Hospital (मनोहर दास मंडलीय नेत्र संस्थान) में Dircetor का पद स्वतंत्र एवं स्वीकृत है या नहीं. क्या मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का नेत्र विज्ञान विभागाध्यक्ष संस्थान के independent का पद पदेन रूप से धारण करेगा? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन सवालों के जवाब सचिव चिकित्सा शिक्षा से मांगा है और उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 31 जुलाई तक का मौका दिया है.
कोर्ट ने MDA Hospital के Dircetor पद के स्टेटस को लेकर चिकित्सा शिक्षा सचिव को कानून के आधार पर निर्णय लेने और अपनी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में याचिका की अगली सुनवाई पर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि निर्णय प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो सचिव उस दिन कोर्ट में उपस्थित रहेंगे.
हाईकोर्ट ने इस बीच एमडीआई हॉस्पिटल के Dircetor पद पर उत्पन्न विवाद को देखते हुए वहां के सभी वित्तीय एवं प्रशासनिक कार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज के प्रिंसिपल को सौंप दिए हैं. जबकि वहां के शैक्षणिक कार्य कोर्ट ने याची विभागाध्यक्ष को देखने का निर्देश दिया है. साथ ही डॉ अपराजिता चौधरी को एमडीआई हॉस्पिटल का Dircetor नियुक्त करने के गत सात मई के आदेश को स्थगित कर दिया.

यह आदेश जस्टिस अजित कुमार ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में नेत्र विभाग के अध्यक्ष डॉ संतोष कुमार व चार अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद मनोहर दास मंडलीय नेत्र अस्पताल में निदेशक कौन होगा और निदेशक के स्टेटस को लेकर उठाए गए मुद्दों को लेकर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि लगता है कि मामले से निपटते समय चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने केवल पांचअप्रैल 2006 के सरकारी आदेश पर भरोसा करके मुद्दे को बहुत जल्दबाजी और सरसरी ढंग से तय किया है, बजाय इसके कि विभागाध्यक्ष और मनोहर दास नेत्र संस्थान के Dircetor का पद एक दूसरे से स्वतंत्र हैं, जिनके पास स्वीकृत पदों की स्थिति है और उनसे जुड़े वेतनमान आदि और आगे प्रशासनिक और वित्तीय दोनों तरह के कार्यभार जुड़े हुए हैं.
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और डॉ अपराजिता चौधरी की ओर से कोर्ट के समक्ष कोई परिपत्र पत्र या सरकारी आदेश प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिसके द्वारा Dircetor के पद को विभागाध्यक्ष के पद से स्वतंत्र होने के अपने बचाव के समर्थन में संस्थान के निदेशक को कोई स्वतंत्र कर्तव्य/विशेष कर्तव्य सौंपा गया हो, चाहे वह प्रशासनिक हो या वित्तीय. संस्थान की स्थिति के बारे में कोई विवाद नहीं है कि यह मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है, जिसका एक प्रशासनिक प्रमुख (Dircetor) कॉलेज का प्राचार्य है, न ही इस तथ्य के बारे में कोई विवाद है कि नेत्र विज्ञान का यह संस्थान मेडिकल कॉलेज से स्वतंत्र कोई डिग्री या डिप्लोमा प्रदान नहीं करता है.
कॉलेज के स्नातकोत्तर इंटर्न और नेत्र विज्ञान के क्षेत्र से संबंधित छात्रों का इस संस्थान में अध्ययन आदि के उद्देश्यों के लिए आना और संस्थान में नेत्र विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों को कर्तव्यों का असाइनमेंट भी विवादित नहीं हो सकता है.

कोर्ट ने आदेश में दो मुद्दे तय करने को कहा है:-
पहला यह कि क्या मनोहर दास क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान के लिए निदेशक का पद सृजित किया गया है और क्या प्रासंगिक नियमों और विनियमों के तहत इस पद पर विशेष वेतनमान और भत्ते स्वीकार्य किए गए हैं?
दूसरा यह कि क्या मनोहर दास क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान का विभागाध्यक्ष मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का एक अभिन्न अंग है और इसलिए कॉलेज का नेत्र विज्ञान विभागाध्यक्ष संस्थान के निदेशक का पद पदेन रूप से धारण करेगा, जिसमें कोई अतिरिक्त वेतन और भत्ते नहीं होंगे?
कोर्ट ने याची एवं विपक्षी दोनों डॉक्टरों से चिकित्सा शिक्षा सचिव के समक्ष प्रत्यावेदन के साथ अपना अपना पक्ष 31 जुलाई से पूर्व प्रस्तुत करने को कहा है. साथ ही चिकित्सा शिक्षा सचिव को निर्देश दिया कि कानून के अनुसार सकारण व विस्तृत आदेश 30 दिन के अंदर करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि चिकित्सा शिक्षा सचिव अगली सुनवाई पर (तीन सितम्बर) सीलबंद रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं तो उन्हें उस न्यायालय में दिन हाजिर होना होगा.
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