हेतापट्टी के ग्राम प्रधान पर लगा 25 हजार रूपए हर्जाना
ग्राम प्रधान की वकील को धमकी, फिर मांगी माफी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील को अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) मामले में फंसाने की धमकी देने वाले ग्राम प्रधान पर ₹25,000 का हर्जाना लगाया है. यह मामला “बानो बीबी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य” से जुड़ा है, जिसकी सुनवाई जस्टिस जे.जे. मुनीर की एकल पीठ द्वारा की जा रही थी.
तहसील फूलपुर, प्रयागराज में वकालत कर रहे अधिवक्ता वसीम अख्तर को बहादुरपुर कछार हेतापट्टी गांव के ग्राम प्रधान जंग बहादुर ने धमकी दी थी. ग्राम प्रधान ने उन्हें एससी/एसटी एक्ट में झूठे केस में फंसाने और जान से मारने की धमकी दी. अदालत को यह भी बताया गया कि वकील याची के दामाद हैं.
अदालत ने इस धमकी को गंभीरता से लिया और ग्राम प्रधान को तलब किया. तो बिना शर्त माफी मांग ली, परंतु रिकॉर्डेड कॉल की प्रतिलिपि पढ़ने के बाद अदालत ने पाया कि ग्राम प्रधान न केवल वकील के प्रति अपमानजनक था बल्कि पूरे कानूनी पेशे के प्रति असम्मान दिखा रहा था.
न्यायालय ने कहा, “यह दुखद है कि बार के सदस्य, जो नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए शांति के समय सैनिकों की तरह काम करते हैं, हर ओर से आलोचना झेलते हैं.”उनके प्रति ऐसा कृत्य आपराधिक अवमानना की सीमा तक जाता है, लेकिन माफीनामे को देखते हुए अवमानना का मामला नहीं चलाया गया.
कोर्ट ने ₹25,000 का हर्जाना लगाते हुए आदेश दिया कि ₹10,000 अधिवक्ता वसीम अख्तर को और ₹15,000 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दिया जाए. याचिका की सुनवाई की तिथि तय की गई है.