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जांच के बगैर कर्मचारी का इंक्रीमेंट रोकने व प्रतिकूल प्रविष्टि का आदेश हाईकोर्ट ने किया रद

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को चार माह में नये सिरे से जांच कार्यवाही पूरी करने का निर्देश

इंक्रीमेंट

प्रयागराज: विधिक रूप से जांच कराये बगैर कर्मचारी का एक इंक्रीमेंट रोकने व प्रतिकूल प्रविष्टि देने के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद कर दिया है. यह प्रकरण उत्तर प्रदेश विद्युत निगम महोबा से जुड़ा हुआ है जिसे याचिका मं चुनौती दी गयी थी. कोर्ट ने विभाग को चार माह में नये सिरे से जांच कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया है. याचिका पर सुनवाई जस्टिस अजय भनोट की बेंच ने की. याचिका रवि प्रकाश की ओर से दाखिल की गयी थी जिसे स्वीकार कर लिया गया हैरु याचिका पर अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव व स्वेता सिंह ने बहस की.

जांच अधिकारी तिथि तय करें, याची को पूर्व सूचना दें
कोर्ट ने कहा है कि विभागीय गवाहों की सूची व प्रतिकूल तथ्य की कापी याची को दी जाय. जांच अधिकारी तिथि तय करें और याची को पूर्व सूचना दी जाय. विभाग गवाहों को जांच कार्यवाही में पेश करें और याची को उनकी प्रति परीक्षा करने की अनुमति दी जाय. याची जांच में सहयोग करें और जांच चार माह में पूरी की जाय. कोर्ट ने कहा जांच परिणाम के अनुसार याची को मिलने भुगतान निर्भर करेंगे.

एकतरफा रिपोर्ट पर दिया गया दंड
याची अधिवक्ता का कहना था एकतरफा जांच रिपोर्ट पर उसे दंडित कर दिया गया. किसी गवाह की जांच अधिकारी के समक्ष पेशी नहीं की गई और न ही याची को उसके खिलाफ तथ्यों की प्रति दी गई.उसे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया.जांच प्रक्रिया दूषित होने के कारण दंडादेश निरस्त होने योग्य है. कोर्ट ने विभागीय अधिकारियों के 6 फरवरी 23 व 30 अक्टूबर 23 को रद कर दिया है.

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