ज्ञानवापी मस्जिद में कथित वजूखाना के survey की मांग वाली याचिका पर सुनवाई 7 अक्टूबर को

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर शिवलिंग को छोड़कर कथित ‘वजूखाना’ का एएसआई द्वारा survey कराने की मांग में विचाराधीन याचिका की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी. मंगलवार को जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट को बताया गया कि मुस्लिम पक्ष के वकील अस्वस्थ हैं और सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी.
यह याचिका वाराणसी की अदालत द्वारा 21 अक्टूबर, 2023 को पारित उस आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई है, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर स्थित शिवलिंग जैसी संरचना को छोड़कर वजुखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण (survey) करने का निर्देश देने से इंकार कर दिया गया था. जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग और मुसलमान फव्वारा बताते हैं.
शिवलिंग को छोड़कर वजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण (survey) करने का निर्देश एएसआई को देने की मांग
वादियों में से एक राखी सिंह ने वाराणसी की अदालत में एक अर्जी दायर की, जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर शिवलिंग को छोड़कर वजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण (survey) करने का निर्देश एएसआई को देने की मांग की थी. जिसे इंकार करते हुए खारिज करने वाले जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी है. अपनी पुनरीक्षण याचिका में राखी सिंह ने दलील दी कि न्याय के हित में वजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण (survey) आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि इससे वादी और प्रतिवादी दोनों को लाभ होगा और अदालत को इस मुकदमे में न्यायसंगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी. पुनरीक्षण याचिका में आगे कहा गया है कि वजूखाना क्षेत्र का एएसआई सर्वेक्षण (survey) आवश्यक है ताकि संपूर्ण संपत्ति के धार्मिक स्वरूप का निर्धारण किया जा सके. एएसआई पहले ही ज्ञानवापी परिसर का सर्वे (survey) कर चुकी है. रिपोर्ट जिला अदालत में दाखिल है.
558 Govt Added मदरसों की जांच पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 558 राजकीय सहायता प्राप्त (Govt Added) मदरसों की जांच पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार व अन्य विपक्षियों से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 17नवंबर को होगी. यह आदेश जस्टिस सरल श्रीवास्तव और जस्टिस अमिताभ कुमार राय की बेंच ने टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया व दो अन्य की याचिका पर दिया है.
याची का कहना था कि धारा 36 (2) के तहत मानवाधिकार हनन की घटना के एक साल के भीतर ही आयोग जांच करा सकता है. शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में तारीख नहीं लिखी है इससे पता करना कठिन है कि शिकायत एक साल के भीतर की गई है या नहीं. इसलिए एक साल बाद मानवाधिकार हनन के आरोप की जांच कराने का आयोग को अधिकार नहीं है.
हालांकि सरकारी वकील ने कहा कि घटना की जांच जरूरी है. मामला आर्थिक अपराध से भी जुड़ा है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और जांच कार्यवाही पर रोक लगाते हुए मानवाधिकार आयोग व शिकायतकर्ता को नोटिस जारी की है.