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दूसरे का घर गिरवाने आया petitioner खुद फंसा

हाई कोर्ट ने धारा 67 की कार्यवाही करने का दिया निर्देश

दूसरे का घर गिरवाने आया petitioner खुद फंसा

तालाब भूमि से अतिक्रमण कर बने घर के ध्वस्तीकरण के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट आया याची (petitioner) खुद अपने जाल में उलझकर रह गया है. याची (petitioner) ने विपक्षी द्वारा तालाब भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत में जनहित याचिका दायर की. कोर्ट के आदेश पर हुई जांच में याची (petitioner) का ही घर तालाब भूमि पर बना पाया गया तो कोर्ट ने याची (petitioner) के खिलाफ राजस्व संहिता की धारा 67की कार्यवाही करने का निर्देश दिया और विपक्षी के खिलाफ अतिक्रमण की झूठी रिपोर्ट देने वाले लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.

प्रयागराज के हंडिया निवासी ओमराज (petitioner) ने लालमणि पटेल के खिलाफ याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया  कि लालमणि का घर तालाब भूमि पर बना है. ओमराज ने 2022 में तहसीलदार द्वारा दिए गए बेदखली आदेश का पालन कराने की मांग की थी. लालमणि पटेल के वकील आशुतोष शुक्ला ने कोर्ट में बताया कि तहसीलदार व एसडीएम का बेदखली आदेश गलत था.

 इसके बाद प्रकरण की सुनवाई कर रही जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की सिंगल बेंच ने इसकी फिर से जांच कराने के आदेश दिये. 21 अगस्त 2025 को तहसीलदार हंडिया ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया. हलफनामे में बताया गया कि जब जमीन की दोबारा पैमाइश की गई तो पता चला कि तालाब की जमीन पर लालमणि पटेल का नहीं बल्कि याचिकाकर्ता (petitioner) ओमराज का घर बना है.

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कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब विपक्षी ने कोई अतिक्रमण नहीं किया था तो उसके खिलाफ बेदखली का आदेश कैसे पारित किया गया. कोर्ट ने अतिक्रमण की गलत रिपोर्ट देने वाले लेखपाल दिलीप कुमार और राजस्व निरीक्षक गया प्रसाद कुशवाहा के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट हलफनामे में मांगी है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता (petitioner) के अतिक्रमण को हटाने के लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर 2025 को होगी.

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