Medical Board से अपील खारिज होने के बाद दोबारा मेडिकल का प्रावधान नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल सेवा नियमावली, 2015 के तहत मंडलीय Medical Board द्वारा अपील खारिज होने के बाद पुन: मेडिकल जांच कराने का कोई प्रावधान नहीं है.

याची-अपीलकर्ता मयंक चौधरी ने संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सिविल पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति हेतु पुनः चिकित्सा परीक्षण कराने का अनुरोध किया था. उसने प्रारंभिक लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी और शारीरिक परीक्षण में उसे फिट घोषित किया गया था. हालांकि, मुख्य लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, Medical Board ने याची को अयोग्य घोषित कर दिया.
याची ने मंडलीय Medical Board के समक्ष अपील दायर की, जहां पुनः जांच के बाद उसे अयोग्य पाया गया. याची ने पुनः जांच के लिए एक और आवेदन दायर किया, लेकिन उसे भी अस्वीकार कर दिया गया. याची द्वारा दायर रिट याचिका खारिज कर दी गई. इसके बाद उसने विशेष अपील दायर की थी.
उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल एवं हेड कांस्टेबल सेवा नियमावली, 2015 के नियम 15(6) में अभ्यर्थी के चिकित्सा परीक्षण का प्रावधान है. नियम 15(6)(ई) में प्रावधान है कि अभ्यर्थी द्वारा अपने चिकित्सा परीक्षण के संबंध में दायर अपील पर मंडलीय Medical Board का निर्णय अंतिम एवं अभ्यर्थी पर बाध्यकारी होगा तथा इसके विरुद्ध किसी अपील पर विचार नहीं किया जाएगा. यह मानते हुए कि मंडलीय Medical Board द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद दूसरी मेडिकल जांच का कोई प्रावधान नहीं था. हाईकोर्ट की विशेष अपील बेंच ने एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी.
“सेवा नियमों के तहत, निस्संदेह, लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उम्मीदवार को Medical Board द्वारा चिकित्सा परीक्षण से गुजरना पड़ता है, लेकिन, संभागीय चिकित्सा बोर्ड के समक्ष अपील खारिज होने के बाद पुनः परीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है. यदि इसकी अनुमति दी जाती है तो यह प्रक्रिया अंतहीन होगी और चयन कभी अंतिम रूप नहीं ले पाएगा.”
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ