‘Fraud (420 ) और विश्वासघात (486) कि अपराध एक ही मामले में नहीं हो सकते मौजूद’
हाईकोर्ट ने रद किया समन आदेश, लोअर कोर्ट को भेजा गया केस

Fraud (420 IPC) और आपराधिक विश्वासघात (486 IPC) के अपराध एक ही मामले में एक साथ मौजूद नहीं हो सकते, क्योंकि Fraud (420 ) और विश्वासघात (486) एक दूसरे के विपरीत हैं. इस कमेंट के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद शराफत के खिलाफ Fraud (420 ) और विश्वासघात (486) में जारी समन आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने मामले को निचली अदालत में वापस भेज दिया, ताकि कानून के अनुसार नए सिरे से समन पर आदेश पारित किया जा सके. यह आदेश जस्टिस राजबीर सिंह ने शुक्रवार 25 जुलाई को सुनाया.
यह आवेदन धारा 528 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत, संपूर्ण कार्यवाही को रद्द करने के लिए दायर किया गया था. जिसमें आरोप पत्र और साथ ही 2023 के मुकदमा संख्या 29078, जो 2021 के अपराध संख्या 0919 से उत्पन्न हुआ है, को लेकर दिनांक 07.07.2023 के संज्ञान/सम्मन आदेश को रद्द करना शामिल है.
यह मामला धारा 420 (Fraud), 406 आईपीसी, थाना- मझोला, जिला- मुरादाबाद में दर्ज किया गया था और वर्तमान समय में केस एसीजेएम कोर्ट मुरादाबाद में लंबित है. आवेदक के अधिवक्ता द्वारा यह प्रस्तुत किया गया है कि आवेदक निर्दोष है और उसके विरुद्ध प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है.
आवेदक को आईपीसी की धारा 420 (Fraud), 406 के अंतर्गत अपराध के लिए सम्मन किया गया है. दिल्ली रेस क्लब (1940) लिमिटेड और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य 2024 एससीसी ऑनलाइन एससी 2248 के मामले में निर्धारित कानून के अनुसार, धोखाधड़ी (Fraud) का अपराध और आपराधिक विश्वासघात स्वतंत्र और अलग-अलग हैं और दोनों एक साथ मौजूद नहीं हो सकते और केवल इसी कारण से आक्षेपित समन आदेश रद्द किया जा सकता है.
अभिलेखों के अवलोकन से पता चलता है कि आक्षेपित आदेश द्वारा आवेदक को आईपीसी की धारा 420 (Fraud) और 406 के तहत समन किया गया है. समन आदेश कानून के अनुरूप नहीं है. कोर्ट ने एसीजेएम कोर्ट मुरादाबाद द्वारा पारित समन आदेश को निरस्त कर दिया और मामला संबंधित न्यायालय को वापस भेज दिया ताकि कानून के अनुसार शीघ्रता से नए सिरे से समन जारी करने के संबंध में आदेश पारित किया जा सके.
ग्राम प्रधान और सचिव को राहत, वसूली आदेश पर रोक, नए सिरे से विचार करने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला शाहजहांपुर के बड़ा बांदा ब्लाक के चिकटिया ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ डीएम द्वारा पारित 35 हजार, सात सौ तीन रुपये की राशि के वसूली आदेश पर रोक लगा दी है और फिर से विचार करने का आदेश पारित किया है. कोर्ट ने कहा है कि आदेश के क्रम में ग्राम प्रधान और सचिव तीन हफ्ते में डीएम के समक्ष फिर से अपना अभ्यावेदन सभी दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत करेंगे, जिस पर डीएम चार सप्ताह में नए सिरे से विचार कर उचित आदेश पारित करेंगे.
इस दौरान प्रधान और सचिव दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. यह आदेश जस्टिस प्रकाश पाडिया ने शाहजहांपुर के सत्यपाल सिंह व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. कहा गया कि डीएम ने अपने तीन अप्रैल 2025 के आदेश में हैंडपम्प के रिबोर के मामले में ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ 35 हजार, सात सौ तीन रुपये की राशि के वसूली आदेश पारित कर रखा है.
याचियों को जैसे ही इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने डीएम के समक्ष उपस्थित होकर अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत किया लेकिन डीएम ने उस पर अभी तक कोई आदेश पारित नहीं किया. दूसरी तरफ उनसे वसूली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.कहा गया है कि उनका पक्ष सुने बिना यह आदेश पारित किया है. उन्हें सुनवाई को मौका दिया जाना चाहिए.इस पर कोर्ट ने उन्हें पक्ष रखने का मौका देते हुए अपना अभ्यावेदन डीएम के समक्ष प्रस्तुत करने और डीएम को उस पर उचित आदेश पारित करने का आदेश पारित किया.
Excellent job