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बीएड Compulsory के खिलाफ याचिका, 3 दिन में जवाब दे आयोग

प्रतियोगी छात्रों ने अंतिम बार इस परीक्षा में बैठने का मांगा अवसर

बीएड Compulsory के खिलाफ याचिका, 3 दिन में जवाब दे आयोग

राजकीय इंटर कालेज प्रवक्ता भर्ती में बीएड की अनिवार्यता (Compulsory ) के खिलाफ याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज को जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है. याचिका पर अगली सुनवाई 25 सितम्बर को होगी. यह आदेश जस्टिस सीडी सिंह ने दिया है.

याचिका में कहा गया है कि अब तक प्रवक्ता भर्ती की न्यूनतम योग्यता केवल स्नातकोत्तर डिग्री थी. हाल ही में सरकार ने न्यूनतम योग्यता में संशोधन कर दिया गया है. इसके अनुसार प्रवक्ता बनने के लिए बीएड डिग्री होना अनिवार्य (Compulsory ) है. इस बदलाव के चलते हजारों की संख्या में छात्र आवेदन के स्तर पर ही बाहर हो गये हैं.

सरकार के इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले छात्रों का कहना है कि वे नई नियमावली का विरोध बिल्कुल नहीं कर रहे हैं. लेकिन, यह परिवर्तन अचानक लागू करना अन्यायपूर्ण है.

कोर्ट में याची का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता सरोज यादव का कहना है कि दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड ने भी वर्ष 2022 में प्रवक्ता भर्ती में बीएड अनिवार्य (Compulsory ) किया था. छात्रों ने इसके खिलाफ आवाज उठायी और राहत मांगी तो सरकार ने पहले से तैयारी कर रहे छात्रों को एक बार का अवसर दिया था. उन्होंने कहा कि जीआईसी में प्रवक्ता भर्ती चार साल के बाद आयी है.

बीएड Compulsory  पहले से ही स्पष्ट होता तो छात्रों के पास मौका होता

प्रवक्ता भर्ती के लिए बीएड करना अनिवार्य (Compulsory ) होने की शर्त को पहले से ही स्पष्ट कर दिया गया होता तो तैयारी करने वालें छात्रों के पास मौका होता कि वह बीएड कोर्ट कर लें. भर्ती घोषित होने से ठीक पहले यह पता चलने से उनके पास मौका नहीं है कि वे बीएड का कोर्स कर सकें.

कोर्ट में याचिका लेकर पहुंचे अधिकांश अभ्यर्थी 2020 में हुई जीआईसी में प्रवक्ता भर्ती में मुख्य परीक्षा तक पहुँचे थे. यदि इस बार भी उन्हें बाहर किया गया तो अगली भर्ती तक वे अधिकतम आयु सीमा पार कर जाएंगे. ऐसे में उन्हें एक मौका नहीं दिया गया तो यह उनके साथ अन्याय होगा.

उनका तर्क है कि, यह शर्त रखी जा सकती है कि चयनित अभ्यर्थी अगले 2–3 वर्षों में बीएड की डिग्री अवश्य प्राप्त करेंगे. प्रतियोगी परीक्षा का चार साल आयोजन न करना और अचानक अर्हता में बदलाव लागू करना, अभ्यर्थियों के साथ विभेदकारी रवैया अपनाना है. आयोग के अधिवक्ता बीकेएस रघुवंशी ने आयोग का पक्ष रखा.

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टीजीटी विज्ञान विषय के लिए केवल भौतिकी और रसायन विज्ञान को अनिवार्य विषय मानने वाले सर्कुलर के विरोध में याचिका

इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) विज्ञान पद की योग्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है. ऐसे में कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 22 सितंबर 2025 की तिथि नियत की है. यह आदेश जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने दिया है.

प्रयागराज के हेमंत कुमार, राज बहादुर सिंह, विवेक कुमार और अब्दुल कादिर अंसारी ने टीजीटी विज्ञान विषय के लिए केवल भौतिकी और रसायन विज्ञान को अनिवार्य विषय मानने वाले सर्कुलर के विरोध में याचिका दाखिल की है. याचियों का कहना है कि 22 अप्रैल 2024 के सर्कुलर में निर्धारित योग्यता को असंवैधानिक घोषित किया जाए. टीजीटी विज्ञान पद की योग्यता में जीव विज्ञान (वनस्पति विज्ञान और प्राणी विज्ञान) को भी शामिल करने का निर्देश दिया जाए

याची प्राणी विज्ञान वनस्पति विज्ञान और रसायन विज्ञान विषय में स्नातक हैं. ऐसे में उन्हें टीजीटी विज्ञान पद के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जाए. राज्य सरकार के वकील याचिका का विरोध करते हुए जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है.

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