Law की जानकारी रखने वाला कोई व्यक्ति कोर्ट में किसी की तरफ से बहस कर सकता है क्या?

क्या Law की जानकारी रखने वाला कोई व्यक्ति किसी की तरफ से कोर्ट में बहस कर सकता है. इस मुद्दे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में उठे सवालों पर महानिबंधक के जरिए इलाहाबाद हाईकोर्ट व सचिव के जरिए उप्र बार काउंसिल को याचिका में पक्षकार बनाया गया है ताकि इस मुद्दे पर स्थिति साफ हो सके. याचिका की अगली सुनवाई 15 सितबर को होगी. यह आदेश जस्टिस विनोद दिवाकर ने पेशे से इंजीनियर विश्राम सिंह (Law की जानकारी रखने वाला) की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
अधीनस्थ अदालत में शील निधि जायसवाल ने अपनी तरफ से याची (Law की जानकारी रखने वाला) को बहस करने की अनुमति मांगी. जिसे अदालत ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि याची विश्राम सिंह (Law की जानकारी रखने वाला) पंजीकृत अधिवक्ता नहीं हैं. इसलिए दूसरे की ओर से बहस करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
याची विश्राम सिंह (Law की जानकारी रखने वाला) का कहना है कि वह इंजीनियर हैं. निर्माण कार्य करता है. उसे कानून की भी जानकारी है. उसने सुप्रीम कोर्ट के सौ से अधिक फैसले पढ़े हैं. स्वयं अध्ययन किया है. इसलिए प्लीडर के रूप में बहस करने दिया जाय.
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 22 (1)व अनुच्छेद 227 (3) धारा 3 लीगल प्रैक्टिशनर एक्ट, धारा 2 (1) एडवोकेट एक्ट नियम 21 जनरल सिविल रूल्स, धारा 2 (15) आदेश तीन नियम 4 सीपीसी, सहित अश्वनी कुमार उपाध्याय सहित कुछ केसों का हवाला दिया. कहा अधीनस्थ अदालत का आदेश रद कर उसे प्लीडर के रूप में बहस की अनुमति दी जाय. कोर्ट ने आदेश की प्रति महानिबंधक व सचिव बार काउंसिल उ प्र को भेजने का आदेश दिया है.
तीन साल से लापता Advocate की तलाश का निर्देश, 1 माह की और मोहलत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगभग तीन साल से लापता Advocate की तलाश करने के लिए प्रयागराज पुलिस को एक माह की और मोहलत दी है. कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है. Advocate जयशंकर उपाध्याय (लापता) के अधिवक्ता भाई अभयकांत उपाध्याय ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर अपने भाई की तलाश कर पेश किए जाने की मांग की है. याचिका पर जस्टिस सलिल कुमार राय एवं जस्टिस जफीर अहमद की खंडपीठ ने सुनवाई की.
राज्य सरकार केअपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम परितोष मालवीय व ऋषि चड्ढा ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच के लिए एसीपी श्यामजीत के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई है. संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है. पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत से नार्को टेस्ट की अनुमति मांगी थी लेकिन अनुमति नहीं मिली.
वहीं याची Advocate का कहना था कि पुलिस जांच के नाम पर वादी को ही परेशान कर रही है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस को जांच की पूरी छूट है. वह जिससे उचित समझे, पूछताछ कर सकती है लेकिन किसी के साथ थर्ड डिग्री जैसा तरीका प्रयोग नहीं किया जाएगा.
कोर्ट ने जांच के लिए एक माह की मोहलत देते हुए कहा कि यदि इससे भी कोई नतीजा नहीं निकलता है तो कोई अन्य आदेश करने पर विचार किया जाएगा. धूमनगंज क्षेत्र के पोंगहट का पुल के रहने वाले अधिवक्ता जय शंकर की गुमशुदगी तीन सितंबर 2022 को दर्ज कराई गई थी. बाद में पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की, जो अब तक चल रही है.
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