Religion बदले बिना विपरीत religion के लोगों की शादी वैध नहीं, सुनवाई 29 अगस्त को
कानून का उल्लघंन कर नाबालिग को शादी प्रमाणपत्र जारी करने वाले आर्य समाज सोसायटियों की जांच का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के गृह सचिव को विपरीत धर्म (religion) के नाबालिग जोड़े को शादी का प्रमाणपत्र देने वाली प्रदेश की आर्य समाज सोसायटियों की डीसीपी रेंक के अधिकारी से जांच कराने का निर्देश दिया है और अनुपालन रिपोर्ट मांगी है. याचिका की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी. कोर्ट ने बिना धर्म (religion) बदले विपरीत धर्म (religion) के जोड़ों की शादी को वैध शादी नहीं माना और कहा कि यह कानून का उल्लघंन है और आर्य समाज मंदिर में कानून का उल्लघंन कर नाबालिग लड़की का शादी प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है.
कोर्ट ने नाबालिग लड़की का अपहरण कर आर्य समाज मंदिर में शादी करने वाले के खिलाफ आपराधिक केस कार्यवाही रद करने से इंकार कर दिया. यह आदेश जस्टिस प्रशांत कुमार की एकलपीठ ने सोनू उर्फ सहनूर की याचिका पर दिया है.
आवेदक (सोनू उर्फ शाहनूर) ने पिछले साल सितंबर में आईपीसी की धारा 363, 366, 376 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दर्ज एक प्राथमिकी के संबंध में समन आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. उस पर शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी का अपहरण करने और उसके बाद उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था.
पीठ के समक्ष, आवेदक ने दावा किया कि उसने और पीड़िता ने फरवरी 2020 में शादी कर ली थी और लड़की वयस्क होने के बाद आवेदक के साथ रहने लगी थी. इन दलीलों को खारिज करते हुए, कोर्ट ने कहा कि लड़की उस समय नाबालिग थी और कथित विवाह (religion) कानून की दृष्टि में वैध नहीं है क्योंकि उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 के तहत उचित धर्म (religion) परिवर्तन और पंजीकरण का अभाव था.
“इस मामले में, विवाह पंजीकृत नहीं किया गया है. रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि कथित घटना के समय, पीड़िता नाबालिग थी और उसके द्वारा किया गया कोई भी विवाह किसी भी तरह से वैध विवाह नहीं होगा.”

कोर्ट ने यह भी कहा कि चूँकि आवेदक और पीड़िता अलग-अलग धर्मों (religion) के हैं, इसलिए आर्य समाज मंदिर में उनका कथित विवाह मौजूदा कानून के अनुसार उचित धर्मांतरण (religion) के बिना नहीं हो सकता था. न्यायालय ने इस वर्ष मई में शनिदेव एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 7 अन्य तथा संबंधित मामले में समन्वय पीठ द्वारा की गई टिप्पणियों का भी उल्लेख किया, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि कुछ लोग, जो स्वयं को आर्य समाज का अनुयायी बताते हैं, वर और वधू की आयु की पुष्टि किए बिना ही दुर्भावना से अवैध रूप से विवाह संपन्न करा रहे हैं.
कोर्ट ने कहा, उपरोक्त आदेश उत्तर प्रदेश राज्य में आर्य समाज मंदिर द्वारा एक वर्ष में संपन्न कराए गए विवाहों की संख्या का आश्चर्यजनक आंकड़ा दर्शाता है. इस पृष्ठभूमि में, आवेदन को निराधार पाते हुए, पीठ ने उसे खारिज कर दिया. गृह सचिव को अगली सुनवाई (29 अगस्त, 2025) तक व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया.
याची का कहना था कि उसके खिलाफ महाराजगंज के निचलौल थाने में अपहरण, दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान लेकर सम्मन जारी किया है. याची ने पीड़िता से आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है और अब वह बालिग है साथ रह रहे हैं. इसलिए केस कार्यवाही रद की जाय.
सरकारी अधिवक्ता ने विरोध किया कहा कि दोनों विपरीत धर्म (religion) के है. बिना धर्म (religion) परिवर्तन किए की गई शादी अवैध है. याची ने धर्म (religion) परिवर्तन नहीं किया है और न ही शादी पंजीकृत कराई है. कोर्ट ने कहा आर्य समाज सोसायटियों में फर्जी शादी कराने व नाबालिग को शादी प्रमाणपत्र जारी करने के कईं केस आये है. वे कानून का उल्लघंन कर शादी प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं. इसकी जांच की जाय और कार्यवाही हो. कोर्ट ने गृह सचिव से रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.