बेसिक के शिक्षक Gratuity Act की धारा 2 (ई) के तहत कर्मचारी नहीं
HC ने कहा, बेसिक शिक्षा के शिक्षक Gratuity Act के किसी भी लाभ के हकदार नहीं

बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित होने वाले स्कूलों में तैनात शिक्षक और प्रधानाध्यापक Gratuity Act, 1972 की धारा 2(ई) के तहत राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं हैं. इसके चलते वह Gratuity Act, 1972 की धारा 2 (ई) के अंतर्गत आने वाले लाभों का हकदार नहीं हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए बेसिक स्कूल के प्रधानाध्यापक पद से रिटायर हुए बिंद्रा प्रसाद पटेल को Gratuity का कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है.
दो जजों की बेंच ने यह फैसला 8 जुलाई को सुनाया था. यह मानते हुए कि सरकारी आदेश कार्यकारी निर्देश हैं जिन्हें जारी करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ता Gratuity Act के तहत लाभों का हकदार नहीं है और विशेष अपील खारिज कर दी.
“किसी बेसिक शिक्षा बोर्ड के शिक्षक (प्रधानाध्यापक सहित) को Gratuity Act (ग्रेच्युटी अधिनियम), 1972 की धारा 2(ई) के तहत कर्मचारी नहीं माना जा सकता. इस प्रकार, Gratuity Act (ग्रेच्युटी अधिनियम), 1972 के तहत किसी कर्मचारी को मिलने वाले लाभ ऐसे शिक्षक को उपलब्ध नहीं होंगे.”
Gratuity Act, 1972 की धारा 2 (ई) कर्मचारी को ऐसे किसी भी व्यक्ति (प्रशिक्षु के अलावा) के रूप में परिभाषित करती है, जो वेतन पर नियोजित है, चाहे ऐसे रोजगार की शर्तें स्पष्ट हों या निहित, किसी भी प्रकार के काम में, शारीरिक या अन्यथा, किसी कारखाने, खदान, तेल क्षेत्र, बागान, बंदरगाह, रेलवे कंपनी, दुकान या अन्य प्रतिष्ठान के काम में या उसके संबंध में, जिस पर यह अधिनियम लागू होता है, लेकिन इसमें ऐसा कोई व्यक्ति शामिल नहीं है जो केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई पद धारण करता है और किसी अन्य अधिनियम या Gratuity के भुगतान के लिए प्रदान करने वाले किसी नियम द्वारा शासित होता है.

वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता-अपीलकर्ता बिंद्रा प्रसाद पटेल जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे. उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिला था जिसके तहत उन्हें सेवा में दो वर्ष का विस्तार मिला. लागू नियमों के तहत सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष थी. इस प्रकार, अपीलकर्ता 64 वर्ष की आयु में सत्र लाभ प्राप्त करने के बाद 31.3.2017 को सेवानिवृत्त हो गए.
अपीलकर्ता द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, प्रयागराज को निर्देश देने की प्रार्थना के साथ रिट याचिका दायर की गई थी कि उन्हें ब्याज सहित Gratuity जारी की जाए. इसी दावे को सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया. इसमें उल्लेख किया गया है कि 8.3.1978 के शासनादेश द्वारा बोर्ड द्वारा स्थापित संस्थाओं के शिक्षकों को मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान (Gratuity) समाप्त कर दिया गया था.

पारिवारिक पेंशन का लाभ, पहले अस्वीकार किया गया था, बाद में एक संशोधन द्वारा जोड़ा गया. इसके बाद, 23.11.1994 का सरकारी आदेश जारी किया गया, जिसमें केवल उन लोगों को Gratuity का लाभ दिया गया, जिन्होंने 60 की बजाय 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुना था.
जब बेसिक संस्थानों में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 कर दी गई, तो 4.2.2004 के सरकारी आदेश के तहत Gratuity का लाभ 60 वर्ष की आयु तक बढ़ा दिया गया. कोर्ट ने माना कि चूंकि अपीलकर्ता ने समय से पहले सेवानिवृत्त होने का विकल्प नहीं चुना था, बल्कि 2 वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए सेवा की थी, इसलिए वह उपरोक्त सरकारी आदेशों के तहत Gratuity का हकदार नहीं था.
“कर्मचारी का अर्थ है कोई भी व्यक्ति (प्रशिक्षु के अलावा) जो वेतन पर नियोजित है. चाहे ऐसे रोजगार की शर्तें स्पष्ट हों या निहित, किसी भी प्रकार के काम में, शारीरिक या अन्यथा, किसी कारखाने, खदान, तेल क्षेत्र, बागान, बंदरगाह, रेलवे कंपनी, दुकान या अन्य प्रतिष्ठान के काम से संबंधित, जिस पर यह अधिनियम लागू होता है, लेकिन इसमें ऐसा कोई व्यक्ति शामिल नहीं है जो केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई पद धारण करता हो और किसी अन्य अधिनियम या Gratuity के भुगतान के लिए किसी नियम द्वारा शासित हो.”
“किसी अन्य अधिनियम या किसी नियम के तहत बनाई गई Gratuity योजना का संदर्भ व्यापक अर्थों को व्यक्त करता है. इसे केवल किसी विशिष्ट अधिनियम या नियम के तहत बनाई गई Gratuity योजना तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता. राज्य सरकार के अधीन पद धारण करने वाले व्यक्ति के लिए ग्रेच्युटी की ऐसी योजना राज्य की कार्यकारी शक्तियों के प्रयोग में बनाए गए नियमों के माध्यम से भी हो सकती है.”
धारा 2(ई) Gratuity Act