स्टार हेल्थ ने Policy पर लोक अदालत के फैसले को HC में दी चुनौती, 13 को सुनवाई
सुलह समझौते से कैसे निबटेगा मामला अधिकारी बताएं: HC

लोक अदालत में इंश्योरेंस Policy के पेमेंट को लेकर निबटाये गये मामले को इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी तो कोर्ट ने कहा कि इतनी छोटी राशि के लिए कोर्ट आना ठीक नहीं है. कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी को नोटिस जारी करने के बजाय मामले को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए. न्याय के हित में याचिकाकर्ता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी से अनुरोध है कि वे चार सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करें कि कैसे और किस तरीके से मामले को अदालत के बाहर सुलझाया जा सकता है, जिससे कानून के प्रश्नों को भविष्य के लिए खुला रखा जा सके. प्रकरण की सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी.
याचिकाकर्ता स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने स्थायी लोक अदालत मेरठ द्वारा 04 जून 2025 को पीएलए (Policy) केस संख्या 49/2021 (माधुरी शर्मा बनाम स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड) में दिए गए award को चुनौती देते हुए वर्तमान रिट याचिका दायर की है. उपरोक्त आदेश द्वारा, याचिकाकर्ता (Policy holder) को पुरस्कार की तिथि से एक महीने की अवधि के भीतर 1,72,367/- रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. आदेश में कहा गया था कि ऐसा न करने पर दावेदार 7% की दर से ब्याज पाने का हकदार होगा.
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याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि हालांकि स्थायी लोक अदालत ने स्वीकार किया कि बीमित (Policy holder) व्यक्ति लीवर की बीमारी से पीड़ित था लेकिन अपने लिखित बयान में बीमा कंपनी की एक विशेष दलील की पूरी तरह से गलत व्याख्या की और उस दलील को बीमा कंपनी की ओर से स्वीकारोक्ति माना.
कोर्ट ने कहा कि रिट याचिका में वर्णित तथ्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि पॉलिसी धारक (Policy holder) ने बैंक से एक वर्ष की अवधि के लिए स्वास्थ्य पॉलिसी (Policy) ली. यह पॉलिसी (Policy) 20 मई 2019 से 19 मई 2020 तक प्रभावी रही. इसके बाद इसे 20 मई 2020 से 19 मई 2021 तक रीन्यू किया गया. इस अवधि के दौरान पॉलिसी धारक अस्पताल में भर्ती रहा.
कोर्ट में तर्क दिया गया है कि बीमित (Policy) व्यक्ति कैंसर अस्पताल में भर्ती था. 01 नवंबर 2020 के डिस्चार्ज मेमो से पता चलता है कि पॉलिसी धारक कई वर्षों से बीमारी से पीड़ित था. पूरी रिट याचिका में और न ही स्थायी लोक अदालत के समक्ष लिखित बयान में ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है कि इस संबंध में कोई जानकारी दी गई हो.
कोर्ट का प्रथम दृष्टया मत है कि स्थायी लोक अदालत मेरठ द्वारा पारित दिनांक 04 जून 2025 का आदेश पूर्ण और वैध आदेश है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. याचिकाकर्ता, जो एक बहुराष्ट्रीय बीमा कंपनी है, इस न्यायालय के समक्ष एक बहुत ही मामूली राशि अर्थात् 1,72,367/- रुपये के लिए मुकदमा लड़ रही है.
Policy की पूर्ण अवधि के मामले में परिपक्वता राशि की गणना अलग-अलग तरीकों से की जाएगी
उधर स्थायी लोक अदालत प्रयागराज द्वारा निबटाये गये मामले को चुनौति दिये जाने पर कोर्ट ने काउंटर और रिजवाइंडर दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ने स्थायी लोक अदालत, प्रयागराज द्वारा केस संख्या 30/2022 (अजय मिश्रा बनाम शाखा प्रबंधक, एलआईसी) में 3 जुलाई 2025 को दिये गये आदेश को चुनौती दी है. उपरोक्त आदेश द्वारा प्रतिवादी का दावा स्वीकार किया गया था.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि स्थायी लोक अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता द्वारा यह विशिष्ट मामला बनाया गया है कि पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार, मृत्यु की स्थिति में और पॉलिसी की पूर्ण अवधि के मामले में, परिपक्वता राशि की गणना अलग-अलग तरीकों से की जाएगी.
लेकिन, उपरोक्त आदेश पारित करते समय प्रतिवादी संख्या 1 द्वारा इस तथ्य पर विचार नहीं किया गया. यह भी प्रस्तुत किया गया है कि प्रतिवादी संख्या 2 ने प्रस्ताव प्रपत्र पर विधिवत हस्ताक्षर किए हैं और इस प्रकार यह तर्क दिया जाता है कि उसे पॉलिसी के नियमों और शर्तों की पूरी जानकारी है और पॉलिसी के नियमों और शर्तों से संतुष्ट होने के बाद उसने इसे खरीदा है.
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला याचिकाकर्ता के पक्ष में बनता है. कोर्ट ने काउंटर दाखिल करने के लिए चार सप्ताह और रिजवाइंडर दाखिल करने के लिए उसके बाद के दो सप्ताह का समय दिया है. कोर्ट ने प्रकरण को अंतिम रूप से निस्तारित करने के लिए अगले साल मार्च में लिस्ट करने का निर्देश दिया है.
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