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सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के Merger पर 21 अगस्त तक रोक

इलाहाबाद HC ने स्टेट से कहा Merger पर यथास्थिति बनाये रखें

सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के Merger पर 21 अगस्त तक रोक

उत्तर प्रदेश में छात्रों की संख्या कम होने का आधार बनाकर बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित विद्यालयों के Merger की प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 अगस्त तक स्टे लगा दिया है. सीतापुर के प्राइमरी के छात्रों की तरफ से Merger पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका रिट-सी संख्या 6290/2025 और रिट-सी संख्या 6292/2025 में 07.07.2025 को सिंगल बेंच की तरफ से दिये गये आदेश के खिलाफ दाखिल की गयी याचिका पर चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनवाई के बाद गुरुवार को यह आदेश दिया.

बता दें कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अपीलकर्ताओं द्वारा दायर Merger पर रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था. याचिकाएं स्कूलों के Merger की कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाने के लिए दायर की गई थीं. अपील और रिट याचिकाएं जिला सीतापुर तक ही सीमित हैं. चुनौती मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण दी गई थी कि जोड़े गए स्कूल बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के तहत पड़ोस में एक स्कूल होने के मानदंड का उल्लंघन करते हैं और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21-ए का उल्लंघन करते हैं. 

विद्वान एकल न्यायाधीश के समक्ष, स्पष्ट रूप से कोई जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया गया था और आरोपित निर्णय के पैरा 11 में, यह देखा गया है कि विद्वान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने प्रतिवादियों द्वारा लिए गए रुख के संबंध में कुछ मिनट और सामग्री रखी थी. चीफ जस्टिस अरुण कुमार भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच के समक्ष प्रस्तुतीकरण के दौरान, जब विद्वान एकल न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों का संदर्भ लिया गया और न्यायालय द्वारा Merger पर कुछ विसंगतियां देखी गईं और विद्वान अतिरिक्त महाधिवक्ता को बताई गईं, तो आज Merger पर हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेने के लिए एक आवेदन दायर किया गया है.

सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के Merger पर 21 अगस्त तक रोक

Merger पर हलफनामे के साथ, दस्तावेजों का पूरा समूह, जिसे विद्वान एकल न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया था, हलफनामे के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया है और न्यायालय द्वारा बताई गई सभी विसंगतियों को स्पष्ट करने की मांग की गई है. Merger पर हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया जाता है.

अपीलकर्ताओं के वकील प्रतिवादियों द्वारा दायर उक्त हलफनामे पर प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए समय मांगने पर अपीलकर्ताओं की ओर से जवाब दिया गया कि अगली तारीख से पहले दायर किया जा सकता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि अपीलों को 21.08.2025 को नए सिरे से सूचीबद्ध करें.

इस बीच और अगली तारीख तक, केवल सीतापुर जिले के संबंध में, इस तथ्य के कारण कि न्यायालय ने कुछ स्पष्ट विसंगतियाँ देखी हैं, जिनका स्पष्टीकरण प्रतिवादियों द्वारा मांगा गया है, प्रतिवादियों द्वारा विद्यालयों के विलय हेतु की गई प्रक्रिया के कार्यान्वयन के संबंध में यथास्थिति यथावत रखी जाएगी.

दो जजों की बेंच ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस समय, अंतरिम आदेश दिए जाने का नीति की योग्यता और उसके कार्यान्वयन से कोई लेना-देना नहीं है.

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बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला प्रदेश भर के स्कूलों के लिए लागू किया है. इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए स्कूल चिन्हित कर लिये गये हैं और यह भी तय हो गया कि उन्हें किन स्कूलों के साथ मर्ज किया जायेगा.
सरकार की तरफ से यह फैसला छात्र संख्या के आधार पर लिया गया है जबकि मर्जर के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले छात्रों का कहना है कि मर्जर के चलते उनका स्कूल दो से ढाई किलोमीटर तक दूर हो गया है. इन स्कूलों तक रोज आना जाना उनके लिए समस्या होगी.स्कूलों को बंद न करने की गुहार छात्रों की ओर से लगायी गयी है.

पहले इस मामले को सुनने वाली कोर्ट ने सरकार के पक्ष को सही माना और और मर्जर के खिलाफ छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया था. वर्तमान याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ बेंच में चल रही है.

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