कैसे हटेगा 45 किमी. में बसे महाकुंभ क्षेत्र का कचरा? फैसला सुरक्षित
लॉ स्टूडेंट्स की रिसर्च बेस्ड PIL पर HC सुनाएगा फैसला

महाकुंभ के समापन के बाद 45 किलोमीटर क्षेत्र में छोड़ा गया कचरा कैसे हटेगा? इसमें से कितना हटा दिया गया? प्रशासन का कचरा हटाने का क्या प्लान है? इसे लेकर हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी हो गयी है. जस्टिस जयंत बनर्जी और जस्टिस मदन पाल सिंह की डिवीजन बेंच ने फैसला रख लिया है.
याचिका में 45 किलोमीटर के क्षेत्र में गंगा यमुना के किनारे मेला प्रशासन द्वारा छोड़े गए मलबे से फैली गंदगी व बरसात में गंगा के प्रदूषित होने का खतरा बताया गया है. 26 फरवरी 2025 को कुंभ के समापन पर मेला प्रशासन को तमाम दी गई सुविधाएं हटाना था, लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा क्षेत्र में ही छोड़ दिया गया. इसमें भारी मात्रा में कचरा, मलबा, निर्माण सामग्री, लैट्रिन कमोड और ऐसी ही बहुत सारी वस्तुएं शामिल हैं. याचिका में कहा गया है कि बारिश शुरू होने पर यह कचरा गंगा जल को दूषित और जहरीला बना देगा.
याचिका के अनुसार कचरा के कारण आज एक बड़े इलाके में कछार भूमि पर खीरा ककड़ी करेले आदि की सब्जियों की खेती रुक गई है. झूंसी में नदी किनारे के मोहल्ले प्रदूषण, दुर्गंध से प्रभावित है. इस कचरे से गंगा नदी के जल जीवों, वनस्पतियों को गंभीर खतरा है और समूचा पर्यावरण गंभीर संकट का सामना करने जा रहा है.
ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क के साथ विधि प्रशिक्षण ले रहे देश भर से आए लॉ स्टूडेंट्स ने कड़कती धूप में नदी किनारे पैदल चल कर सारे तथ्य इकठ्ठा कर जनहित याचिका दाखिल की है.
याची विधि छात्रा अंशिका पाण्डेय व अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका में प्रशासन को क्षेत्र में छोड़ी गई गंदगी बरसात के पहले हटा लेने का समादेश जारी करने की मांग की गई है. जनहित याचिका में राज्य सरकार, डीएम प्रयागराज, मेला अधिकारी नगर निगम और पुलिस कमिश्नर को पक्षकार बनाया गया है.