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Exceptional circumstances में समझौते के आधार पर रद हो सकता है 376 का केस

Exceptional circumstances सामने आते हैं तो इसकी गंभीरता को इग्नोर नहीं किया जा सकता है, यह कमेंट के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बलात्कार के अपराधों से संबंधित आपराधिक कार्यवाही असाधारण परिस्थितियों (Exceptional circumstances) में मामले के तथ्यों के अधीन समझौते के आधार पर रद्द की जा सकती है.

Exceptional circumstances में समझौते के आधार पर रद हो सकता है 376 का केस

दो जजों की बेंच ने कहा कि, “सबसे पहले हम मानते हैं कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत अपराध निस्संदेह गंभीर और जघन्य प्रकृति का है. आमतौर पर पक्षकारों के बीच समझौते (Exceptional circumstances) के आधार पर ऐसे अपराधों से संबंधित कार्यवाही रद्द करने की निंदा की जाती है और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. हालांकि, न्याय के उद्देश्यों को सुनिश्चित करने के लिए CrPC की धारा 482 के तहत न्यायालय की शक्ति किसी कठोर सूत्र से बाधित नहीं है. इसका प्रयोग प्रत्येक मामले के तथ्यों (Exceptional circumstances) के संदर्भ में किया जाना चाहिए.”

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय कुमार की बेंच बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ताओं के खिलाफ बलात्कार का मामला रद्द करने से Exceptional circumstances में इनकार कर दिया गया, जबकि अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए मामले को आगे न बढ़ाने की इच्छा जताई कि आरोपी और उसके बीच मतभेद आपसी सहमति (Exceptional circumstances) से सुलझा लिए गए हैं.

Exceptional circumstances में समझौते के आधार पर रद हो सकता है 376 का केस

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अभियोजन पक्ष द्वारा दर्ज की गई दूसरी FIR पहली FIR के विरुद्ध प्रतिक्रियात्मक कदम है और अपीलकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही जारी रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा, इसलिए न्याय के हित में लंबित कार्यवाही रद्द की जाती है.

Exceptional circumstances में समझौते के आधार पर रद हो सकता है 376 का केस

कोर्ट ने कहा, “इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि दूसरी FIR में शिकायतकर्ता ने स्पष्ट रूप से Exceptional circumstances के चलते मामले को आगे न बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है. उसने दलील दी है कि वह अब विवाहित है, अपने निजी जीवन में व्यवस्थित है और आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से उसकी शांति और स्थिरता भंग होगी. उसका रुख न तो अनिश्चित है और न ही अस्पष्ट.

उसने लगातार रिकॉर्ड में दर्ज हलफनामे के माध्यम से भी यही कहा कि वह अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं करती और चाहती है कि मामला समाप्त हो जाए. दोनों पक्षकारों ने भी सौहार्दपूर्ण ढंग से अपने मतभेदों को सुलझा लिया और आपसी सहमति पर पहुंच गए. इन परिस्थितियों में मुकदमे को जारी रखने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा. यह सभी संबंधित पक्षकारों विशेष रूप से शिकायतकर्ता के लिए केवल परेशानी को बढ़ाएगा और अदालतों पर बोझ बढ़ाएगा, जबकि कोई सार्थक परिणाम मिलने की संभावना नहीं है.”

कोर्ट ने कहा, “इस मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने, शिकायतकर्ता द्वारा अपनाए गए स्पष्ट रुख और समझौते की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना है कि आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. यह केवल प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.”

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अपहरण कर किशोरी को बेचने में अभियुक्त को 6 वर्ष की कैद
विशेष न्यायाधीश वाराणसी (पॉक्सो-2) नितिन पांडे की अदालत ने अपहरण कर नाबालिग किशोरी को अनुचित संभोग के लिए बेचने के मामले में अभियुक्त को साक्ष्यों के आधार पर दोषी पाया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने और विचारण के बाद चौबेपुर निवासी अभियुक्त राहुल राजभर को 6 वर्ष की कारावास और जुर्माने से दंडित किया है.

विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह के मुताबिक अभियुक्त राहुल राजभर नाबालिक किशोरी को बहला फुसला कर भगा ले गया था. उसने बालिका को प्रेम का झांसा दिया था. इसके बाद उसने अनुचित संभोग के लिए बेच दिया. इस मामले में बालिका के परिवार की तरफ से थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी.

पुलिस ने मामले में आरोपित को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. पुलिस ने विवेचना के बाद रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी. कोर्ट ने इस प्रकरण में दोनों पक्षों के साक्ष्यों का अवलोकन किया. उपरोक्त मामले में मोनू सिंह और रघुवीर सिंह भी अभियुक्त है जिनका मामला विचाराधीन है। अभियुक्त की जमानत हाइकोर्ट से दो बार खारिज भी हो चुकी है. अभियुक्त 4 वर्षों से जिला कारागार में निरुद्ध है.

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