Departmental inquiry में बरी तो बिना नोटिस नहीं दिया जा सकता चेतावनी दंड
मंडलीय कमांडेंट होमगार्ड मेरठ का चेतावनी आदेश रद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सक्षम अधिकारी Departmental inquiry रिपोर्ट से सहमत या असहमत हो सकते हैं. पुनः जांच का आदेश दे सकते हैं. किंतु जांच रिपोर्ट (Departmental inquiry) में दोषमुक्त कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही समाप्त कर बिना नोटिस दिए चेतावनी का दंड नहीं दिया जा सकता.
कोर्ट ने कहा, नियमानुसार चेतावनी से पदोन्नति के समय कर्मचारी के पांच अंक काटा जायेगा तो बिना सुनवाई का अवसर दिए जांच में बरी कर्मचारी को लापरवाही के लिए चेतावनी नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने मंडलीय कमांडेंट होमगार्ड मेरठ के 31 दिसंबर 24 के आदेश को रद कर दिया है.
यह आदेश जस्टिस अजित कुमार ने धर्म देव मौर्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता विभु राय ने बहस की. इनका कहना था कि याची गौतमबुद्धनगर में होमगार्ड ड्यूटी पर था कि कार्यालय के अभिलेखों में आग लग गई. जिसकी विभागीय जांच (Departmental inquiry) बैठाई गई. जांच रिपोर्ट (Departmental inquiry) में याची को आरोप मुक्त कर दिया गया. जिसपर याची का निलंबन रद्द कर बहाल कर दिया गया और कार्यवाही समाप्त कर दी गई. इसी के साथ लापरवाही के लिए चेतावनी जारी की गई. जिसे चुनौती दी गई.
याची अधिवक्ता विभु राय का कहना था कि जब याची दोषमुक्त (Departmental inquiry) हो गया तो चेतावनी का दंड नहीं दिया जा सकता. 27 सितंबर 19 के शासनादेश में स्पष्ट है कि किसी कर्मचारी को चेतावनी का दंड देने से पहले कारण बताओ नोटिस दिया जाना जरूरी है. इसका पालन नहीं किया गया. याची को आरोप सिद्ध (Departmental inquiry) होने पर ही दंडित किया जा सकता है. नियमावली में चेतावनी के दंड का विधान नहीं है. इसलिए चेतावनी आदेश अवैध है.

दामोदर हाउसिंग कोआपरेटिव सोसायटी की याचिका पर राज्य सरकार व नगर निगम मेरठ से जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दामोदर हाउसिंग कोआपरेटिव सोसायटी की विवादित प्लाट से बेदखली के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार, नगर निगम मेरठ व विपक्षी गण से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 28अगस्त को होगी. यह आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने सोसायटी की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है. याचिका में अपर आयुक्त मेरठ के बेदखली आदेश को चुनौती दी गई है.
नगर निगम के अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि औरंगशाहपुर डिग्गी में करोड़ों की सरकारी संपत्ति को लेकर सिविल कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया है.थर्ड पार्टी हित सृजित करने पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद याची सोसायटी संपत्ति बेच रही है जो कोर्ट की अवमानना है.जिसकी राज्य सरकार हाई लेवल जांच करा रही है. सोसायटी के खिलाफ अपर आयुक्त ने बेदखली का आदेश जारी किया है.याची का कहना है कि उसके प्रत्यावेदन को तय किया जाय और तबतक बेदखली रोकी जाय.
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