संभल में Mosque के ध्वस्तीकरण पर हाई कोर्ट से राहत नहीं
अवकाश के दिन बैठी अर्जेंट कोर्ट का निर्देश ट्रायल कोर्ट में करें अपील

एक दिन पहले इस मामले में सुनवाई जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने की थी. शनिवार को इस पर जवाब दाखिल किया जाना था. शनिवार को अवकाश के दिन बैठी बेंच ने मसाजिद शरीफ गोसुलबारा रावां बुजुर्ग और मस्जिद के मुतवल्ली मिंजर की ओर से दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुनाया और उन्हें कोई अंतरिम राहत देने से मना कर दिया.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में 29 सितंबर से दशहरा अवकाश चल रहा है. अर्जेंट प्रकरण बताते हुए दाखिल की गयी याचिका में मस्जिद (Mosque) प्रबंधन ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत कार्यवाही में सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित 2 सितंबर के आदेश को चुनौती दी थी. अध्ययन के बाद, याचिकाकर्ताओं के वकील ने आदेश को एक हलफनामे के साथ अभिलेख पर रखने और याचिकाकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक नया वकालतनामा दाखिल करने के लिए 12 घंटे का समय माँगा तो सुनवाई के लिए 4 अक्टूबर को सुबह 10 बजे का समय तय कर दिया गया.
याचिका में मस्जिद (Mosque), बारात घर और अस्पताल के ध्वस्तीकरण के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है. कहा गया है कि बारात घर को ध्वस्त कर दिया गया है. ध्वस्तीकरण के लिए दो अक्टूबर गांधी जयंती व दशहरे की छुट्टी का दिन चुना गया जबकि बुलडोजर कार्रवाई के दौरान भीड़ की वजह से कोई बड़ा हादसा या बवाल भी हो सकता था. इस कार्रवाई के पीछे आरोप है कि बारात घर तालाब की जमीन पर बना हुआ है जबकि मस्जिद (Mosque) का कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर बना हुआ है. शनिवार की सुबह हुई सुनवाई में मस्जिद (Mosque) पक्ष को कोई अंतरिम राहत नहीं मिली.
प्रशासन ने हाल ही में मस्जिद (Mosque) को यह दावा करते हुए नोटिस दिया था कि यह गाँव में खाद के गड्ढे/तालाब की जमीन पर बनी है. मस्जिद (Mosque) प्रबंधन समिति के प्रतिनिधियों के अनुरोध पर प्रशासन ने उन्हें 4 दिनों के लिए अस्थायी रोक लगा दी थी.
रिट याचिका में मस्जिद (Mosque) के खिलाफ शुरू की गई सभी कार्यवाहियों पर भी सवाल उठाए गए हैं, जिनमें 26 जून, 2025 का नोटिस, बिना तारीख वाला कारण बताओ नोटिस, 2 सितंबर, 2025 का तामील न हुआ आदेश और 30 सितंबर, 2025 का विध्वंस नोटिस शामिल हैं.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि नोटिस सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 नवंबर, 2024 के अपने फैसले में जारी अनिवार्य अखिल भारतीय निर्देशों का ‘घोर उल्लंघन’ हैं. उन्होंने अधिकारियों को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना संभल के ग्राम रायन बुजुर्ग स्थित मस्जिद और उससे सटे अस्पताल को गिराने या उसमें हस्तक्षेप करने से रोकने का निर्देश देने की भी मांग की थी.
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