NRI पति की हत्या की दोषी ब्रिटिश लेडी को सजा ए मौत, उम्र कैद में तब्दील
हाई कोर्ट ने साथी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 38 वर्षीय ब्रिटिश महिला को अपने NRI पति की हत्या का जुर्म साबित होने पर सुनायी गयी मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया है. उसे लोअर कोर्ट ने सजा ए मौत की सजा सुनायी थी. हाई कोर्ट ने दोषसिद्धी को गलत नहीं माना और महिला के प्रेमी को लोअर कोर्ट से सुनायी गयी उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा. यह फैसला जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस मदन पाल सिंह की बेंच ने सुनाया है.
अपना फैसला सुनाते हुए बेंच ने टिप्पणी की कि लोअर कोर्ट का ऐसा प्रभाव उत्पन्न करने का इरादा नहीं रहा होगा. फिर भी उस तर्क को अपनाकर लोअर कोर्ट ने अनजाने में ऐसी टिप्पणियाँ की होंगी जो पक्षपात का संकेत देती प्रतीत होती हैं. बेंच ने कहा कि न्याय निष्पक्ष और तर्कपूर्ण होना चाहिए. न्यायिक निर्णय लेने की विचार प्रक्रिया में भावना, कल्पना या पूर्वाग्रह के किसी भी तत्व को कभी भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इन तथ्यों को आधार बनाकर हाई कोर्ट ने मौत की सजा की पुष्टि करने से इनकार कर दिया और उसे कम कर दिया.
आरोपी ने एक जघन्य अपराध किया है. लेकिन यह दुर्लभतम मामला नहीं है जिसके लिए मृत्युदंड की सिफारिश की जा सके. लोअर कोर्ट द्वारा सजा ए मौत दंड देने के लिए जिन अन्य कारकों पर विचार किया गया था वे कल्पित थे और ऐसे कारक कानूनी तर्क के अनुकूल कभी नहीं हो सकते. न्यायिक तर्क से बाहर की सामग्री का संदर्भ, जिसमें न्यायालय द्वारा पौराणिक या कल्पनाशील अवलोकन भी शामिल हैं पक्षपात का संकेत दे सकता है और मृत्युदंड देने के लिए आवश्यक दुर्लभतम मानदंड का मूल्यांकन करते समय अनुचित है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट

2 सितंबर 2016 की सुबह, सुखजीत (मृतक NRI) का शव उसके घर की पहली मंजिल पर खून से लथपथ पड़ा मिला. वंश कौर (मृतक की माँ) ने अज्ञात के खिलाफ हत्या के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी. विवेचना के बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गयी.
केस की खास बात यह रही कि मृतक के 9 वर्षीय बेटे ने केस में गवाही दी थी. उसकी गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई. अपने बयान में उसने स्पष्ट रूप से कहा कि उसने अपनी मां रमनदीप कौर को अपने पिता के ऊपर बैठे देखा था. वह तकिये से उनका चेहरा दबा रही थीं. उसके बयान के अनुसार गुरुप्रीत सिंह ने दो बार हथौड़ा से मारा. उसने अपनी मां को गुरुप्रीत सिंह से यह कहते सुना कि पीड़ित जीवित है और उसे खत्म कर देना चाहिए. इसके बाद गुरुप्रीत सिंह ने चाकू निकाला और गला काट दिया.
NRI पिता के हत्यारों को सजा दिलाने में बेटे की गवाही काम आयी
मृतक के बेटे के साथ अन्य गवाहियों की गवाही पर भरोसा करते हुए और मामले में पेश किए गए तथ्यों परिस्थितियों और सबूतों को ध्यान में रखते हुए, मुकदमे ने दोनों अपीलकर्ताओं को दोषी पाया और आरोपी पत्नी को मृत्युदंड और गुरुप्रीत (NRI) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी. हाई कोर्ट के जजों की बेंच के समक्ष बाल गवाह की गवाही का विस्तार से उल्लेख किया और उसके बयानों को सिर में दो चोटों और गर्दन में एक चोट के चिकित्सीय साक्ष्य के अनुरूप पाया. बेंच ने इस सुझाव को भी खारिज कर दिया कि उसे उसकी चाची ने पढ़ाया था.
“कोर्ट को इस तथ्य की अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि बालक का अपनी मां रमनदीप कौर के साथ पूर्णतः स्वाभाविक संबंध था. उसका अपनी मां के साथ स्वाभाविक भावनात्मक जुड़ाव भी होगा. उसके और उसकी मां रमनदीप कौर के बीच सामान्य संबंध के संदर्भ में यह स्वीकार करना दुस्साहस होगा कि उसने अपनी मां पर अभियोग लगाने के लिए न्यायालय में झूठा बयान दिया होगा क्योंकि उसे उसकी मौसी ने पढ़ाया था.”
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कोर्ट ने अपने फैसले में मेंशन किया कि घटना के समय और स्थान पर अपीलकर्ता रमनदीप कौर की उपस्थिति संदिग्ध नहीं थी. वह अकेले ही किसी घुसपैठिए को प्रवेश दे सकती थी जिसके कारण यह घटना हुई. आरोपी गुरुप्रीत (NRI) सिंह के खिलाफ सबूतों की ओर मुड़ते हुए कोर्ट ने पुष्टिकरण की एक श्रृंखला पर भरोसा किया जिसमें होटल के रिकॉर्ड और टेलीफोन रिकॉर्ड शामिल थे. कोर्ट ने पड़ोसी गुरुमेज सिंह की गवाही को भी स्वीकार किया, जिसने घटना की रात आधी रात के आसपास दोनों आरोपियों को मृतक के घर की छत पर रखा था.
बेंच ने टैक्सी चालक इकरार की गवाही का भी हवाला दिया, जिसने साबित किया कि गुरुप्रीत सिंह (NRI) ने उसके साथ यात्रा करते समय एक महिला को फोन किया था और उससे बात की थी और उसने उसे मृतक के घर के पास छोड़ दिया था. बाद में, अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक/तकनीकी साक्ष्यों से उनकी गवाही की पुष्टि हुई क्योंकि उन फ़ोन कॉल्स का पता रमनदीप कौर के सामान से बरामद मोबाइल हैंडसेट से जुड़े मोबाइल फोन से लगाया गया था.
साक्ष्यों की समग्रता का मूल्यांकन करते हुए हाई कोर्ट ने संपत्ति विवादों पर झूठे आरोप लगाने की बचाव पक्ष की परिकल्पना को खारिज कर दिया और माना कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक और मौखिक साक्ष्यों में पुष्टि मौजूद थी. कोर्ट ने यह भी माना कि सुखजीत सिंह (मृतक NRI) की उसकी पत्नी और एक पारिवारिक मित्र द्वारा हत्या को संदेह से परे साबित किया गया था.
निष्कर्षतः हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि अभियुक्त रमनदीप कौर और गुरुप्रीत सिंह उर्फ मिट्ठू (NRI) ने सुखजीत सिंह की हत्या का जघन्य अपराध किया था. बेंच ने पाया कि वर्तमान मामला दुर्लभतम नहीं है, इसलिए मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद की सजा में तब्दील किया जाता है.
Case : – 18 of 2023 Ramandeep Kaur Versus State of U.P/ REFERENCE NO. 17 OF 2023 AND CRIMINAL APPEAL No. – 12268 of 2023 Gurupreet Singh @ Mitthu Versus State of U.P.
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