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Cheque dishonour केस में संज्ञान लेने से पहले आरोपी का पक्ष सुनना जरूरी

बिना नोटिस दिए जारी सम्मन रद, नये सिरे से आदेश देने का निर्देश

Cheque dishonour केस में संज्ञान लेने से पहले आरोपी का पक्ष सुनना जरूरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक अनादर (Cheque dishonour) केस में जारी सम्मन आदेश रद्द कर दिया है और ट्रायल कोर्ट को नए सिरे से नियमानुसार आदेश पारित करने का निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस विकास बुधवार ने राहुल जिंदल उर्फ राहुल अग्रवाल की याचिका पर दिया है.

अलीगढ़ के बारदाना व्यवसायी राहुल जिंदल के खिलाफ हाथरस के बारदाना व्यवसायी सुरेंद्र कुमार गोयल ने चेक अनादर (Cheque dishonour) के मामले में वाद दायर किया था. आरोप लगाया था कि राहुल जिंदल ने 41 लाख 61 हजार 047 रुपये का एक चेक जारी किया था.

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चेक को बैंक में प्रस्तुत किया तो अनादर (Cheque dishonour) हो गया. वैधानिक नोटिस देने के बाद 10 मार्च 2025 को  शिकायत दर्ज कराई. कोर्ट ने 26 मई 2025 को सम्मन जारी किया. इस आदेश को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की.

Cheque dishonour हो गया तो कंप्लेंट केस पर संज्ञान लेने से पहले आरोपी  को नोटिस दिया जाना चाहिए था

याची अधिवक्ता ने दलील दी कि कंप्लेंट केस पर संज्ञान लेने से पहले आरोपी  को नोटिस दिया जाना चाहिए था और उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए था. ऐसा न कर सीधे सम्मन जारी करना कानून के उपबंधो का उल्लघंन है. इसके आधार पर कोर्ट ने कहा कि सम्मन रद होने योग्य है.

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