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Selection Process होने के बाद भी ‘Equivalence of qualification’ स्पष्ट कर सकता है State

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि राज्य सरकार चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी किसी पद पर भर्ती के लिए ‘Equivalence of qualification’ के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए सक्षम है. यह फैसला जस्टिस अजित कुमार ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एफीलिएटेड स्वायत्तशासी संस्थान यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज इलाहाबाद द्वारा जारी कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पीजीडीसीए) की योग्यता की स्थिति के मुद्दे पर विचार करते हुए सुनाया है.

“यह सच है कि विज्ञापन द्वारा चयन प्रक्रिया प्रभावी होने के बाद खेल के नियमों (qualification) को नहीं बदला जा सकता है और ऐसी परिस्थितियाँ हो सकती हैं जहाँ ऐसी योग्यता रखने वाले कई उम्मीदवारों ने आवेदन नहीं किया हो. लेकिन मेरे विचार से, जैसा कि मैंने पहले ही अपने फैसले में कहा है, राज्य सरकार द्वारा चयन प्रक्रिया जारी रहने के दौरान हमेशा स्पष्टीकरणात्मक रुख अपनाया जा सकता है.”
जस्टिस अजीत कुमार

Selection Process होने के बाद भी 'Equivalence of qualification' स्पष्ट कर सकता है State

याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी (Ro-ARO) के पद पर चयन हेतु अपेक्षित योग्यता (qualification) के साथ आवेदन किया था. योग्यता (qualification) के रूप में उसने यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज द्वारा जारी कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था.

रिक्रूटिंग अथॉरिटी उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग ने उनकी उम्मीदवारी को इस आधार पर खारिज कर दिया कि ऐसे प्रमाण पत्र को इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर पाठ्यक्रम प्रत्यायन विभाग (DOEACC) द्वारा जारी ‘O’ स्तर के प्रमाण पत्र के समकक्ष नहीं माना जा सकता.

याचिकाकर्ता के वकील ने राज्य सरकार द्वारा जारी दिनांक 20.10.2023 का एक परिपत्र प्रस्तुत किया जिसमें सहायक समीक्षा अधिकारी के पद के लिए कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा जारी प्रमाण पत्रों को ‘O’ स्तर के प्रमाण पत्र के समकक्ष माना गया था. इस सूची में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का भी उल्लेख है.

qualification की समतुल्यता के संबंध में कोई संदेह था तो UPPSC को मामला सरकार को भेजना चाहिए था

उनकी तरफ से तर्क दिया गया कि प्राथमिक नियोक्ता होने के नाते भर्ती संबंधी नियम बनाने का अधिकार राज्य के पास है न कि UPPSC के पास. यदि योग्यता (qualification) की समतुल्यता के संबंध में कोई संदेह था तो UPPSC को मामला राज्य सरकार को भेजना चाहिए था.

यूपीपीएससी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया कि चयन को अंतिम रूप दिया जा चुका है और मेरिट सूची फाइनल की जा चुकी है. 2016 के चयन की मेरिट सूची को फिर से खोलना उचित नहीं होगा.

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विकास एवं 80 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 2 अन्य, और अन्य संबंधित मामलों में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि न्यायालयों को भर्ती नीति के लिए योग्यताएं (qualification) तैयार करने से बचना चाहिए क्योंकि वे नियोक्ता के अनन्य अधिकार क्षेत्र में हैं.

कहा गया कि न्यायालय योग्यता (qualification) की समतुल्यता के मुद्दे में केवल तभी हस्तक्षेप कर सकता है जब उन्हें भर्ती प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले नियमों में स्पष्ट रूप से प्रदान किया गया हो. अन्यथा की स्थिति में उसे ऐसा नहीं करना चाहिए.

अपने फैसले में जस्टिस अजित कुमार ने कहा कि नियमों के साथ-साथ विज्ञापन में यह प्रावधान है कि व्यक्ति के पास डीओईएसीसी सोसाइटी द्वारा जारी ‘ओ’ स्तर का प्रमाण पत्र या समकक्ष योग्यता (qualification) या प्रमाण पत्र होना चाहिए. इसलिए यह मामला राज्य सरकार के अनन्य अधिकार क्षेत्र में आता है न कि यूपीपीएससी के.

चूंकि राज्य सरकार ने स्पष्ट किया था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा जारी ‘ओ’ स्तर का प्रमाण पत्र भर्ती के लिए आवश्यक पीजीडीसीए प्रमाण पत्र के बराबर था, इसलिए न्यायालय ने माना कि इसके स्वायत्त घटक संस्थान द्वारा जारी प्रमाण पत्र भर्ती के लिए आवश्यक ‘ओ’ स्तर के प्रमाण पत्र के बराबर होगा और यूपीपीएससी के पास उस आधार पर उम्मीदवारी को खारिज करने का कोई अधिकार नहीं था.

“‘Equivalence of qualification के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, खासकर जब नियमों और विज्ञापन में लागू होने के लिए समकक्ष qualification का प्रावधान किया गया था, मुझे कुछ भी गलत या अन्यथा अवैध नहीं लगता है यदि राज्य सरकार द्वारा जारी यह स्पष्टीकरण चल रहे चयन / अंतिम चयन सूची की तैयारी के चरण पर लागू किया जाता है.”

रिट याचिका को उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग को निर्देश के साथ अनुमति दी गई थी कि वह एआरओ के पद के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को qualification के आधार पर माने.

Case: WRIT-A No.- 19283 of 2023

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