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शिक्षामित्रों का मानदेय (Honorarium): कोर्ट का आदेश मानें या contempt कार्यवाही के लिए हाजिर हों

बेसिक शिक्षा के 4 अधिकारियों को हाईकोर्ट ने दिया आदेश

शिक्षामित्रों का मानदेय (Honorarium): कोर्ट का आदेश मानें या contempt कार्यवाही के लिए हाजिर हों

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा मित्रों का मानदेय  (Honorarium) बढ़ाने पर कमेटी गठित कर फैसला लेने के आदेश का पूरी तरह से पालन करने या 18 सितंबर को हाजिर होने का बेसिक शिक्षा से संबंधित चार अधिकारियों को निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कंचन वर्मा महानिदेशक स्कूली शिक्षा/प्रोजेक्ट डायरेक्टर समग्र शिक्षा, प्रताप सिंह बघेल डायरेक्टर बेसिक शिक्षा, सुरेन्द्र कुमार तिवारी सचिव बेसिक शिक्षा बोर्ड व दीपक कुमार अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश को Honorarium आदेश का अनुपालन हलफनामा दाखिल करने या अगली तिथि पर अवमानना (Honorarium) कार्यवाही शुरू करने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया है. याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र चंद्र त्रिपाठी ने बहस की.

इनका कहना है कि हाईकोर्ट कोर्ट ने शिक्षा मित्रों का मानदेय  (Honorarium) बढ़ाने पर विचार कर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था और कहा था कि कमेटी तीन माह में विचार कर निर्णय ले. इस आदेश की जानकारी दी गई किंतु अभी तक आदेश का पालन नहीं किया गया है. जिसपर यह अवमानना  याचिका दायर की गई है.

इससे पहले कोर्ट ने विपक्षियों से जानकारी मांगी थी. हलफनामा दाखिल कर एक माह का अतिरिक्त समय मांगा गया. जिस पर कोर्ट ने आदेश का पालन कर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है और कहा है कि यदि पालन नहीं किया तो सभी हाजिर हो.

अधिशासी अभियंता शोध एवं योजना खंड अलीगढ़ को अवमानना नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हरिश्चंद्र अधिशासी अभियंता शोध एवं योजना खंड अलीगढ़ को अवमानना नोटिस जारी की है और 11 सितंबर तक आदेश का अनुपालन हलफनामा दाखिल करने या हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने अशोक कुमार शर्मा की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता इरफान मलिक ने  बहस की. इनका कहना है कि याची सिंचाई विभाग अलीगढ़ में सर्वेयर था जो 31 जुलाई 24 को सेवानिवृत्त हुआ.

इसके बाद सेवानिवृत्ति परिलाभो से 16,10,989 रूपये की कटौती कर ली गई. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट कै रफीक मसीह केस के आधार पर कटौती आदेश रद कर दिया और काटी गई राशि तीन माह में वापस करने का निर्देश दिया और साफ कहा कि इसके बाद 7 फीसदी ब्याज देना होगा. 20 जनवरी 24 को पारित हाईकोर्ट का आदेश विपक्षी को 27 जनवरी 24 को दे दिया गया किन्तु अभी तक पैसा वापस नहीं किया गया है. जिस पर यह अवमानना याचिका दायर की गई है. अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी.

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