भूमिधर को illegal occupant मान जारी बेदखली आदेश पर रोक
राज्य सरकार व विपक्षी से चार हफ्ते में कोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमिधर को अवैध कब्जेदार (illegal occupant) मान जारी बेदखली आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार व अन्य विपक्षी से चार हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है. यह आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने सुभाष तोमर व चार अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाह व ऋषभ प्रताप सिंह कछवाह ने बहस की.
इनका कहना है कि याचीगण के खिलाफ उप्र जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा 176 (3) के अंतर्गत बेदखली आदेश (illegal occupant) दिया गया. जिसे चुनौती दी गई है. याचीगण के बाबा झब्बू पुत्र शिब्बू का नाम पुराना गाटा संख्या 172 रकवा 6 बीघा 17 विस्वा स्थित ग्राम रेहड,परगना अजलगढ, तहसील धामपुर जिला बिजनौर पर 1358 फसली के खेवट शिव प्रसाद सिंह जमींदार की भूमि पर जिमन 8,9 बतौर मौरूसी आसामियान दर्ज हुआ जो निहित होने की तिथि 1359 फसली मे भी दर्ज होने के आधार पर 1360 फसली मे श्रेणी 2 सीरदार दर्ज हुए.
आधार वर्ष में भी बतौर सीरदार दर्ज रहे. 20.09.1966 को धारा 137 उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम 1951 के अन्तर्गत लगान का 10 गुना जमा किया. असिस्टेंट कलेक्टर नगीना ने भूमिधरी सनद जारी कर दिया. दौरान चकबंदी नया नं0 101क रकवा 5 बीघा 2 विस्वा मिला. डीडीसी ने आसामी दर्ज कर दिया तहसीलदार ने रिपोर्ट किया कि पट्टे का 5 वर्ष बीत गया है.
एसडीएम धामपुर ने बिना नोटिस के नियम 176क 2 जमींदारी विनाश अधिनियम में निरस्त कर दिया. अपर आयुक्त मुरादाबाद ने निगरानी स्वीकार कर पुनः सुनकर आदेश करने हेतु एसडीएम को भेजा. इसी दौरान याचीगण के पिता रूपचंद की मृत्यु हो गयी बिना सुने 15.03.24 को आसामी पट्टे illegal occupant कह कर खारिज कर दिया. आयुक्त मुरादाबाद ने भी निगरानी खारिज कर दिया. इसी आदेश को चुनौती दी गई है.
एक मुचलका,दो प्रतिभूति लेकर दस आपराधिक मामलों में मिली जमानत मे रिहा करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ललितपुर की विशेष अदालत को निर्देश दिया है कि दस आपराधिक केसों में जमानत पाये याची से एक मुचलका व दो प्रतिभूति लेकर रिहा करे. कोर्ट ने हनी निषाद केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करने का निर्देश दिया और याची की अर्जी खारिज करने के अपर सत्र /विशेष अदालत ललितपुर के आदेश को रद कर दिया है.
यह आदेश जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने भारत वर्मा की अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है. अर्जी पर अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा ने बहस की.इनका कहना था कि याची को कोतवाली व तालबेहट थाने में दर्ज सभी दस मामलों में कोर्ट से जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश है.याची ने अदालत में अर्जी दी कि एक मुचलका व दो प्रतिभूति लेकर रिहा किया जाए.अपर सत्र अदालत ने मांग अस्वीकार कर दी.जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.