Officers समय पर जानकारी न देकर कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे, 20 अगस्त तक सूचना दें बीएसए बलिया
हाईकोर्ट ने कहा, सरकार गाइडलाइंस जारी कर Officers को समय से केस की जानकारी देने का दे निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों (Officers) दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया है ताकि अधिकारी (Officers) समय से केस की जानकारी सरकारी वकील को उपलब्ध करायें ताकि छोटे मोटे मामले जानकारी मिलने पर निपटारे जा सके और कोर्ट पर अनावश्यक रूप से मुकद्दमों का बोझ न बड़े.
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उप्र को यथाशीघ्र गाइड लाइन जारी कर सभी अधिकारियों (Officers) को निर्देश देने का आदेश दिया है ताकि समय से वे केस की जानकारी अपने वकीलों को उपलब्ध करायें. कोर्ट ने आदेश की सूचना के बावजूद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बलिया द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध न कराने पर नाराजगी जताई है और कहा कि 20 अगस्त अगली सुनवाई की तिथि तक यदि केस की जानकारी नहीं दी गई तो बेसिक शिक्षा निदेशक लखनऊ व बीएसए बलिया कोर्ट में हाजिर हों.
यह आदेश जस्टिस मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने श्रीमती सुनैना सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने बहस की. 22 जुलाई को सुनवाई के दौरान बताया गया कि बीएसए ने याची को ब्याज रूपये 140571 का भुगतान करने के लिए संस्तुति भेजी है. शासन में विचाराधीन है. जानकारी के लिए दस दिन का सरकारी वकील ने समय मांगा.

अगली सुनवाई की तिथि पर सरकारी वकील ने बताया कि बीएसए को पत्र भेजा गया है, जो प्राप्त हो चुका है, किंतु कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुई है.
इस पर कोर्ट ने कहा सुनवाई के दौरान अनुभव बताता है कि अक्सर सरकारी अधिकारी (Officers) समय से केस की जानकारी नहीं देते. जिसके कारण केस का निस्तारण नहीं हो पाता और कोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ता है. अधिकारियों (Officers) के इस लापरवाही भरे रवैए के कारण कोर्ट के समय की बर्बादी होती है. जो लोक हित को प्रभावित करती है. कोर्ट ने कहा राज्य को कोर्ट को सहयोग करना चाहिए और अधिकारी (Officers) मुकद्दमों का बोझ बढ़ा रहे. समय से अधिकारी (Officers) जानकारी दे दिशा-निर्देश जारी किया जाय.
वकीलों की हड़ताल के कारण Officers का सुनवाई टालना न्यायिक कदाचार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वकीलों की हड़ताल के कारण अधिकारी (Officers) सुनवाई टाल नहीं सकते. यह न्यायिक कदाचार की श्रेणी में आता है.ऐसा करने पर उनके खिलाफ पद से हटाने तक की कार्रवाई की जा सकती है. कोर्ट ने अलीगढ़ में एक उप-जिलाधिकारी को बार एसोसिएशन की हड़ताल के चलते केस सुनवाई स्थगित करने पर फटकार लगाई है. साथ ही कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.
सत्यपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस जेजे मुनीर ने कहा कि बार एसोसिएशन के इस प्रकार के आह्वान को स्वीकार करना न्यायिक अधिकारी के आचरण में कदाचार की श्रेणी में आ सकता है. इसके चलते उस अधिकारी (Officers) को पद से हटाने तक की अनुशंसा की जा सकती है.
कोर्ट ने एसडीएम को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्होंने वकीलों की हड़ताल के चलते 25 जुलाई की सुनवाई टाल दी थी. याची सत्यपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत बहाली आवेदन दाखिल किया था. 25 जुलाई को सुनवाई थी. वकील उस दिन न्यायिक कार्य से विरत थे, जिसके चलते मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की गई.
कोर्ट ने एसडीएम के इस आचरण की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि अब यह भली-भांति स्थापित है कि बार एसोसिएशन के आह्वान पर पेशेवर कार्य से विरत रहना पूरी तरह अवैध और अमान्य है. यदि कोई वकील बहाली आवेदन पर उपस्थित नहीं हुआ और बार की कोई हड़ताल थी तब भी कोर्ट को कानून का पालन करना चाहिए, न कि उस प्रस्ताव का समर्थन जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय सिद्धांतों के विपरीत हो.
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