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अब्दुल्ला आजम को झटका, 2 Petitions dismissed

रामपुर की एमपीएमएलए कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी

अब्दुल्ला आजम को झटका, 2 Petitions dismissed

पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम की फर्जी पासपोर्ट और दो पैनकार्ड मामले में रामपुर की एमपीएमएलए कोर्ट में चल रहे मुकदमों को रद करने की मांग में दाखिल Petitions को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस मामले (Petitions) में बहस एक जुलाई को पूरी हो चुकी थी.

सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे बुधवार 23 जुलाई को जस्टिस समीर जैन ने सुनाया. शिकायतकर्ता आकाश सक्सेना की तरफ से कोर्ट में अधिवक्ता शरद शर्मा और समर्पण जैन ने और अब्दुल्ला आजम खान की तरफ से अधिवक्ता इमरान उल्लाह और मोहम्मद खालिद ने पक्ष रखा. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी.

अब्दुल्ला आजम खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो अलग-अलग मामलों में दो याचिकाएं (Petitions) दाखिल की थीं. पहला मामला फर्जी पासपोर्ट से जुड़ा था जबकि दूसरा मामला दो पैन कार्ड बनवाने से जुड़ा है. दोनों ही मामलों में अब्दुल्ला आजम खान ने याचिकाएं (Petitions) दाखिल कर रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे ट्रायल में सम्पूर्ण कार्रवाई को रद्द करने के लिए की गुहार इलाहाबाद हाईकोर्ट से लगाई थी. कोर्ट के समक्ष वर्तमान आवेदन (Petitions) में प्रश्न यह था कि क्या वर्तमान मामले में दोहरे खतरे का सिद्धांत लागू होता है या नहीं. दोहरे खतरे का नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(2) और सीआरपीसी की धारा 300 में समाहित है.

“किसी भी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और उसे दंडित नहीं किया जाएगा.”
अनुच्छेद 20(2) भारत का संविधान

अब्दुल्ला आजम को झटका, 2 Petitions dismissed

सीआरपीसी की धारा 300 यह नियम इस प्रकार है:-
कोई व्यक्ति जिस पर किसी अपराध के लिए सक्षम अधिकार क्षेत्र वाले न्यायालय द्वारा एक बार विचारण किया जा चुका है और ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है या दोषमुक्त किया गया है, जब तक ऐसी दोषसिद्धि या दोषमुक्ति प्रभावी रहती है, उस पर उसी अपराध के लिए पुनः विचारण नहीं किया जा सकेगा और न ही उन्हीं तथ्यों के आधार पर किसी अन्य अपराध के लिए, जिसके लिए धारा 221 की उपधारा (1) के अंतर्गत उसके विरुद्ध लगाए गए आरोप (Petitions) से भिन्न आरोप लगाया जा सकता था, या जिसके लिए उसे उसकी उपधारा (2) के अंतर्गत दोषसिद्ध किया जा सकता था.

किसी अपराध के लिए दोषमुक्त या दोषसिद्ध किए गए व्यक्ति पर बाद में, राज्य सरकार की सहमति से, किसी ऐसे विशिष्ट अपराध के लिए विचारण किया जा सकेगा जिसके लिए धारा 220 की उपधारा (1) के अंतर्गत पूर्व विचारण (Petitions) में उसके विरुद्ध पृथक आरोप लगाया जा सकता था.

किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया व्यक्ति, जो किसी ऐसे कार्य के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ हो, जिसके परिणामस्वरूप, ऐसे कार्य के साथ मिलकर, उस अपराध से भिन्न अपराध उत्पन्न हुआ हो, जिसके लिए उसे दोषी ठहराया गया था, बाद में ऐसे अंतिम 6 (10 में से) अपराध के लिए मुकदमा (Petitions) चलाया जा सकता है, यदि परिणाम उस समय नहीं हुए थे, या न्यायालय को ज्ञात नहीं थे कि वह उस समय हुआ था जब उसे दोषी ठहराया गया था.

किसी भी कृत्य से उत्पन्न किसी अपराध के लिए दोषमुक्त या दोषसिद्ध व्यक्ति पर, ऐसी दोषसिद्धि या दोषसिद्धि के बावजूद, बाद में उसी कृत्य से उत्पन्न किसी अन्य अपराध का आरोप लगाया जा सकता है, और उसके लिए विचारण किया जा सकता है, जो उसने किया हो यदि वह न्यायालय जिसके द्वारा उस पर प्रथम बार (Petitions) विचारण किया गया था, उस अपराध का विचारण (Petitions) करने के लिए सक्षम नहीं था जिसके लिए उस पर बाद में आरोप लगाया गया है.

धारा 258 के अंतर्गत उन्मोचित व्यक्ति पर उसी अपराध के लिए पुनः विचारण नहीं किया जाएगा, उस न्यायालय की सहमति के बिना जिसके द्वारा उसे उन्मोचित किया गया था या किसी ऐसे न्यायालय की सहमति के बिना जिसके अधीन प्रथम उल्लिखित न्यायालय अधीनस्थ है.

इस धारा की कोई भी बात सामान्य खंड अधिनियम, 1897 (1897 का 10) की धारा 26 या इस संहिता की धारा 188 के उपबंधों को प्रभावित नहीं करेगी.

स्पष्टीकरण: किसी शिकायत को खारिज करना, या अभियुक्त को दोषमुक्त करना इस धारा के प्रयोजनों के लिए दोषमुक्ति नहीं है.”

भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(2) से यह स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता और उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

अब्दुल्ला आजम को झटका, 2 Petitions dismissed

गलत जन्म तिथि पर फर्जी पासपोर्ट बनवाने के मामले में भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 30 जुलाई 2019 को अब्दुल्ला आजम खान के खिलाफ गलत दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का मुकदमा रामपुर के सिविल लाइन थाने में आईपीसी की धारा 468, 420,471, 467 और  भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1920 की धारा 12(1ए) में मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप है कि अब्दुल्ला आजम के शैक्षिक प्रमाण पत्र और पासपोर्ट विभाग को दी गई जानकारी अलग-अलग हैं.

शिकायत के अनुसार अब्दुल्ला को 10 जनवरी 2018 को पासपोर्ट संख्या जेड-4307442 जारी हुआ था. पासपोर्ट में अब्दुल्ला आजम की जन्म की तारीख 30 सितंबर 1990 बताई गई है जबकि शैक्षिक प्रमाण पत्रों में एक जनवरी 1993 है. दूसरे मामले में बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आजम खान और सपा नेता आजम खान के खिलाफ छह दिसंबर 2019 को रामपुर के सिविल लाइन थाने में दो पैन कार्ड रखने के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी. अब्दुल्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 B, 471, 468, 467 और 420 में मामला दर्ज हुआ था.

आकाश सक्सेना का कहना था कि अब्दुल्ला आजम ने 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी शपथ पत्र में गलत पैन नंबर दर्ज किया था. आकाश सक्सेना ने आरोप लगाते हुए आजम खान को जालसाज और झूठा बताते हुए कहा था कि धोखाधड़ी कर आज़म खान ने चुनाव लड़ाने के लिए बेटे अब्दुल्ला आजम के दो पैन कार्ड बनवाए हैं. चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र में अब्दुल्ला आजम ने बात छिपाई थी और एफिडेविट में अब्दुल्ला आजम ने पैन DWAPK7513R दिखाया और आईटीआर के दस्तावेजों में उन्होंने दूसरा पैन नंबर DFOPK6164K लिखा था.

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