Proxy petition का हलफ देने वाले पर 1 लाख रुपए हर्जाना
सभी याचियों को अलग से याचिका दायर करने की दी छूट

Proxy petition के जरिए कोर्ट पर अनावश्यक बोझ डालने और महत्वपूर्ण समय बर्बाद करने के लिए 19 लोगों की एक याचिका में शपथपत्र देने वाले पर एक सदस्य राजीव कुमार यादव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने कहा याचिका 19 लोगों की ओर दाखिल की गई है लेकिन उनमें से किसी के पास हलफनामे के लिए मिर्जापुर से प्रयागराज आने का समय नहीं था. कोर्ट ने कहा एक याची का चचेरा भाई कैसे 18 अन्य याचियों के तथ्य जानता है स्पष्ट नहीं, फिर भी उसने सबकी ओर से हलफनामा दाखिल किया है. यह प्राक्सी याचिका (Proxy petition) लगती है.
कोर्ट ने सभी द्वारा अलग याचिका दायर करने की छूट देने की याची अधिवक्ता की मांग स्वीकार कर ली और इस याचिका को निस्तारित कर दिया. यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने मिर्जापुर के विनोद कुमार यादव (Proxy petition) व 18 अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता सुरेश गुप्ता और नगर पालिका परिषद मिर्जापुर के अधिवक्ता हर्षित पांडेय ने पक्ष रखा.
कोर्ट ने कहा कि याचिका करने वाले याची 19 की संख्या में हैं और उन्होंने घोषणा की है कि वे मिर्जापुर के निवासी हैं, फिर भी किसी भी याची के पास इस याचिका के समर्थन में दाखिल हलफनामे को शपथपूर्वक सत्यापित करने के लिए प्रयागराज आने का समय नहीं दिया है. याचिका के साथ जो हलफनामा लगा है उसके शपथकर्ता राजीव कुमार यादव हैं, जिन्होंने स्वयं को याची नंबर एक का चचेरा भाई बताया है. यह कैसे संभव हो सकता है कि 19 सदस्यों के होने के बाद भी केवल एक सामने आया है. यह संदेह पैदा करता है और प्रतीत होता है कि याचिका प्राक्सी (Proxy petition) ने दायर की है.

कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में भी ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह पता चल सके कि याची के नंबर एक के रिश्तेदार (Proxy petition) होने के नाते उन्हें प्रत्येक याची के मामले के तथ्यों की जानकारी कैसे हुई. कोर्ट ने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक प्रॉक्सी मुकदमा(Proxy petition) है और याची वास्तविक मुकदमेबाज नहीं हैं इसलिए हलफनामा देने वाले राजीव कुमार यादव (Proxy petition) न्यायालय पर अनावश्यक बोझ डालने और इस न्यायालय का महत्वपूर्ण समय बर्बाद करने के लिए एक लाख रुपये का हर्जाना देंगे.
याचियों के अधिवक्ता ने बेहतर विवरण के साथ संबंधित याची द्वारा शपथपूर्वक सत्यापित हलफनामे के साथ स्वतंत्र याचिकाएं करने की छूट देने की मांग की. कोर्ट ने उन्हें छूट दे दी लेकिन हर्जाने के भुगतान का निर्देश का पालन तीन सप्ताह के भीतर करते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में भुगतान करने का निर्देश दिया है.
राज्य सेतु निर्माण निगम के एमडी ठेकेदार का भुगतान करें या कोर्ट आकर स्पष्टीकरण दें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया में राज्य सेतु निर्माण निगम का काम पूरा होने के बावजूद ठेकेदार कंपनी का भुगतान न करने को गंभीरता से लिया है.और निगम के प्रबंध निदेशक को 30जुलाई तक भुगतान करने या क्यों भुगतान नहीं कर रहे, स्पष्टीकरण के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस डा वाईके श्रीवास्तव की बेंच ने मेसर्स ओम साईं कांस्ट्रक्शन एण्ड सप्लायर सलहाबाद सलेमपुर की याचिका पर दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता विभु राय ने बहस की. इनका कहना है कि याची को मिला काम पूरा होने के बाद बिल भेजा गया. वित्त नियंत्रक ने कहा कि प्रोजेक्ट अधिकारी को बिल भुगतान की संस्तुति की गई है. कोर्ट ने कहा लोक प्राधिकारी काम करवाने के बाद ठेकेदार का भुगतान नहीं करते .यह सरकारी निति के खिलाफ है.
कोर्ट ने कहा वित्त नियंत्रक ने बिल भुगतान के लिए कहा है तो प्रथमदृष्टया बिल की स्वीकृति मानी जायेगी.ऐसे में भुगतान न करना उचित नहीं.जिसपर कोर्ट ने भुगतान करने या न करने के स्पष्टीकरण के साथ हाजिर हो.
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