विवेचना के दौरान Arrest नहीं तो चार्जशीट के बाद सम्मन पर हाजिर अभियुक्त की न्यायिक अभिरक्षा या रिमांड नहीं होगी
इलाहाबाद हाई कोर्ट: हाजिर ऐसे अभियुक्त से जमानत बंधपत्र लेकर लेकर बाद में प्रति भूति जमा करने की दें अनुमति

विवेचना के दौरान गिरफ्तार (Arrest) नहीं हुए अभियुक्त को सम्मन पर हाजिर हो जमानत अर्जी दाखिल करने पर न्यायिक अभिरक्षा में न लिया जाए. बंधपत्र लेकर प्रतिभूति बाद में जमा करने की अनुमति दी जाय. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह व्यवस्था एक महत्वपूर्ण फैसले में दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों की आपराधिक मामले में प्रक्रियात्मक खामियों को दुरुस्त कर अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत राहत देने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने यह भी कहा यदि अभियुक्त को कई मामलों में जमानत प्राप्त है तो प्रतिभूति जमा न कर पाने के कारण उसकी (Arrest) की रिहाई न रोटी जाय. जस्टिस विनोद दिवाकर ने इसी तरह से कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी कर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का सभी जिला जजों व न्यायिक अधिकारियों को इसका पालन करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने सभी जिला जजों को निर्देश दिया है कि जहां बिना गिरफ्तारी (Arrest) के चार्जशीट दाखिल हो आरोपी विवेचना में सहयोग किया हो, सम्मन पर पेश अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट नियमित या अग्रिम जमानत अर्जी सुनने के लिए न्यायिक अभिरक्षा में न लें. अभियुक्त को पेश होने व व्यक्तिगत बंध पत्र जमा करने की अनुमति दी जाय प्रतिभूति बाद में ली जाय.
कोर्ट ने कहा जिला न्यायाधीश,अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट अभियुक्त को उसके अधिकार की जानकारी लेकिन व्यक्तिगत बंधपत्र जमा करें, प्रतिभूति बाद में जमा की जा सकती है. कोर्ट ने कहा सत्र अदालत से विचारणीय मामलों में मजिस्ट्रेट धारा 230,231 बीएनएसएस का पालन करें, बिना देरी केस सत्र अदालत को भेजें. कोर्ट कहा यदि किसी अदालत से अभियुक्त को चार्जशीट दाखिल होने तक उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगी है या गिफ्तारी (Arrest) पर रोक है तो यह संरक्षण ट्रायल पूरा होने तक प्रभावी रहेगा.

कोर्ट ने कहा कि संयुक्त निदेशक अभियोजन बिना गिरफ्तारी (Arrest) चार्जशीट दायर किए गए मामलों में अभिरक्षा में लिए गये अभियुक्तों रिकार्ड संरक्षित रखें. कोर्ट ने सभी जेल अधीक्षकों से कहा है कि विवेचना के दौरान गिरफ्तार (Arrest) नहीं हुए अभियुक्त सुप्रीम को आदेश के विपरीत ट्रायल कोर्ट द्वारा रिमांड, अभिरक्षा में भेजे गये कैदियों का रिकॉर्ड रखें.
कोर्ट ने अपर पुलिस महानिदेशक अभियोजन ऐसे मामलों का केंद्रीय रिकार्ड सुरक्षित रखें. डायरेक्टर जेपीआरआई न्यायिक अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखें और सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला बार एसोसिएशन के सहयोग से अधिवक्ताओं में जागरूकता लाने का प्रयास करें. कोर्ट ने जिला जजों से विवेचना के समय गिरफ्तार (Arrest) नहीं हुए अभियुक्तों की न्यायिक अभिरक्षा, न्यायिक प्रशिक्षण, विधिक जागरूकता कैंप की प्रति माह रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेजने को कहा है.
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा है कि प्रतिभूति जमा न कर पाने के कारण अभियुक्त की जमानत पर रिहाई से इंकार नहीं किया जाय. जमानत मंजूर होने के बाद एक दिन भी अभियुक्त जेल में रहता है तो यह न्याय की क्षति व जमानत के उद्देश्य को विफल करना होगा. कोर्ट ने जिला जजों सहित सभी न्यायिक अधिकारियों को निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है.
यह आदेश जस्टिस विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने गोरखपुर की कृष्णा हार्डवेयर पेंट्स सेंटर की मालिक श्रीमती बच्ची देवी की याचिका पर दिया है. जिसके खिलाफ एशियन पेंट का मिलावटी उत्पाद बेचने के आरोप में पुलिस चार्जशीट पर केस ट्रायल चल रहा है. याचिका में केस कार्यवाही व चार्जशीट रद्द करने की मांग की गई थी. कहा कि डीलर से माल लेकर बेचती है.
मिलावट के लिए उसे जिम्मेदार नहीं माना जा सकता. पुलिस ने बिना गिरफ्तारी (Arrest) के चार्जशीट दाखिल की है. मामला विचाराधीन है. कोर्ट ने याची को आरोप निर्मित करते समय अपना पक्ष ट्रायल कोर्ट में रखने व उसपर कानून के मुताबिक विचार करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने याची को ट्रायल कोर्ट में हाजिर होने से छूट देते हुए अगली तिथि पर जमानत बंधपत्र जमा करने का आदेश दिया है और इस दौरान जारी गैर जमानती वारंट रद कर दिया है.

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कोई अभियुक्त सात दिनों के भीतर जमानती पेश नहीं कर पाता है तो जेल अधीक्षक को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को सूचित करना होगा. इसके बाद उसकी रिहाई के लिए एक वकील की व्यवस्था की जाएगी ताकि वह बाहर आ सके. अगर किसी अभियुक्त पर कई राज्यों में कई मामले दर्ज हैं तो अदालत गिरीश गांधी बनाम भारत संघ के मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार उसे तुरंत रिहा करेगी.
कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह चीफ जस्टिस के समक्ष इस आदेश की एक प्रति रखें ताकि नए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार किया जा सके. इसके साथ ही कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को निर्देश दिया है कि इस आदेश की एक प्रति सभी जिला न्यायाधीशों, पुलिस महानिदेशक, अपर महानिदेशक (अभियोजन) और निदेशक, न्यायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, लखनऊ को भेजी जाए. इन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ये निर्देश प्रभावी ढंग से लागू हों.
बिना Arrest चार्जशीट वाले आरोपियों को जेल भेजने पर रोक
कोर्ट ने उन आरोपियों को सीधे न्यायिक हिरासत (जेल) में भेजने पर रोक लगा दी है जिन्हें पुलिस ने जांच के दौरान गिरफ्तार (Arrest) नहीं किया था. अदालत ने निर्देश दिया कि यदि आरोप पत्र गिरफ्तारी (Arrest) के बिना दायर किया गया है, तो ट्रायल कोर्ट अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में भेजने के बजाय सीधे जमानत बांड पर रिहा कर सकता है. अभियुक्त को अलग से जमानत आवेदन दायर करने की आवश्यकता नहीं होगी.

गोरखपुर के शांति नगर, बिछिया में याची की कृष्णा हार्डवेयर पेंट्स सेंटर नाम से दुकान है. अधिकृत कंपनी के अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान उसके दुकान से नकली एशियन पेंट्स बरामद हुआ था. इस मामले में उसपर धोखाधड़ी, कॉपीराइट अधिनियम सहित कई आरोप में मुकदमा दर्ज हुए. चार्जशीट का सज्ञान लेकर ट्रायल कोर्ट ने समन आदेश जारी किया था.
याची ने समस्त कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होकर बेल बांड भरने का आदेश दिया. साथ ही कहा कि जब तक विशेष परिस्थितियां न हो हिरासत (Arrest) में न लिया जाए.