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4.7 साल अतिरिक्त Jail में बिताने पर दोषी को 25 लाख रुपये compensation देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मध्य प्रदेश सरकार की चूक, भ्रामक हलफनामे पर वकील कटघरे में

4.7 साल अतिरिक्त Jail में बिताने पर दोषी को 25 लाख रुपये compensation देने का आदेश

रेप का आरोप लगा और आरोपित को सात साल कैद की सजा सुनायी गयी. आरोपित को सजा पूरी होने के बाद भी Jail से रिहा नहीं किया गया. सजा पूरी होने के बाद उसे करीब 4 साल 7 महीने अतिरिक्त जेल (Jail) में बिताना पड़ गया. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने इसे (Extra Jail period) मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही माना है और आदेश दिया है कि सरकार दोषी को 25 लाख रुपये मुआवजे का भुगतान करे. कोर्ट ने इस मामले में भ्रामक हलफनामा दाखिल करने पर अधिवक्ता को भी आड़े हाथों लिया है.

याचिकाकर्ता को 2004 में मध्य प्रदेश के एक सत्र न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 376(1), 450 और 560बी के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था. कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. इस फैसले को आरोपित की तरफ से हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी.

हाई कोर्ट ने आजीवन Jail को सात साल की सजा में बदला

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 2007 में उसकी अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया. हाई कोर्ट ने उसकी सजा को घटाकर 7 वर्ष कर दिया. इस वर्ष जून में याचिकाकर्ता को आठ वर्ष से अधिक की अतिरिक्त कारावास (Jail) की सजा काटने के बाद जेल से रिहा किया गया.

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मध्य प्रदेश राज्य की इस चूक के लिए कड़ी फटकार लगायी. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार की चूक के कारण ही दोषी को जरूरत से ज्यादा समय जेल (Jail) में रहना पड़ा.

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4.7 साल अतिरिक्त Jail में बिताने पर दोषी को 25 लाख रुपये compensation देने का आदेश

शुरुआत में मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया गया तो अदालत ने कहा था कि दोषी ने 8 साल अतिरिक्त कारावास (Jail) की सजा काटी है. सोमवार 8 सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट को सीनियर एडवोकेट नचिकेता जोशी (मध्य प्रदेश राज्य की ओर से) ने बताया कि दोषी कुछ समय से जमानत पर Jail से बाहर है.

कोर्ट ने दोषी की ओर से अधिवक्ता महफूज ए. नाजकी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, दोषी द्वारा 4.7 वर्ष की अतिरिक्त कारावास (Jail) की सजा को ध्यान में रखते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस मामले में भ्रामक हलफनामे दायर करने के लिए राज्य के वकील पर भी सवाल उठाए. न्यायालय ने मध्य प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण को समान श्रेणी के व्यक्तियों की तलाश करने का निर्देश देते हुए मामले का निपटारा किया.

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