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’65 वर्षीय महमूद धर्मांतरण (conversion) मामले में गिरफ्तार किया गया था’

यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई के दौरान किया स्पष्ट

'65 वर्षीय महमूद धर्मांतरण (conversion) मामले में गिरफ्तार किया गया था'

इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा तो पता चला कि बरेली का रहने वाला 65 वर्षीय महमूद conversion में गिरफ्तार किया था. उस पर धर्मान्तरण (conversion) में शामिल होने का आरोप है. हाई कोर्ट के जस्टिस सलिल कुमार राय और जस्टिस जफीर अहमद की बेंच मजमूद बेग की पत्नी परवीन अख्तर द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

याचिका में महमूद की पत्नी परवनीन अख्तर ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके दावा किया था कि उनके पति महमूद बेग 20 अगस्त से बरेली पुलिस की अवैध हिरासत में है. कोर्ट के आदेश के अनुसार, अधिकारियों ने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण पेश किया और बेंच को अवगत कराया गया कि बेग को अवैध धर्मांतरण (conversion) मामले के सिलसिले में हिरासत में लिया गया था. बेंच को यह भी बताया गया कि पीड़िता के बयान में उसका नाम सामने आने के बाद उसे 7 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था.

बता दें कि बता दें कि बरेली एसओजी और भुता थाने की पुलिस ने 24 अगस्त को धर्मान्तरण (conversion) कराने वाले गैंग का पर्दाफाश किया था. पुलिस ने फैजनगर निवासी अब्दुल मजीद, सुभाषनगर के गांव करेली निवासी टेलर सलमान, मोहम्मद आरिफ और भोजीपुरा गांव के सैदपुर चुन्नीलाल निवासी हेयर ड्रेसर फहीम को गिरफ्तार किया था. इसी मामले में इज्जतनगर के परतापुर निवासी महमूद बेग का भी नाम सामने आया था.

वैध धर्मांतरण (conversion) किया गया था

'65 वर्षीय महमूद धर्मांतरण (conversion) मामले में गिरफ्तार किया गया था'

कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली बेग की पत्नी ने आरोप लगाया था कि उन्हें एसओजी ने अवैध रूप से हिरासत में लिया था. पुलिस कस्टडी में उनके पति को कठोर यातनाएं दी जा रही थीं और रिहा करने के एवज में रिश्वत के रूप में एक लाख रुपये की डिमांड की जा रही थी. सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्टेट की ओर से कोर्ट यह भी बताया गया कि बेग को न्यायिक हिरासत में रखा गया है और हाई कोर्ट के समक्ष उसकी पेशी सुनिश्चित करने के लिए पांच दिनों की पुलिस हिरासत प्राप्त की गई है.

राज्य के अनुसार, मामले में पीड़िता ‘पूरी तरह से अंधी’ थी और उसका अवैध धर्मांतरण (conversion) किया गया था. उधर, याचिकाकर्ता के वकील ने जोर देकर कहा कि बेग को बहुत पहले (20 अगस्त को ही) हिरासत में लिया गया था. उन्होंने परिवार के आवास से सीसीटीवी फुटेज पर भी भरोसा जताया.

“कॉर्पस अवैध धर्मांतरण (conversion) में शामिल हो सकता है, लेकिन कानून को अपना काम करना होगा. सरकार के वर्दीधारी वर्ग को कानून का पालन करना होगा. वे जाँच कर सकते हैं, लेकिन केवल कानून का पालन करके ही.”
इलाहाबाद हाई कोर्ट

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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है कि 20 अगस्त 2025 की रात लगभग 11:15 बजे 11 व्यक्ति तीन जीपों में सवार होकर याचिकाकर्ता के घर पहुँचे और उसके पति को जबरन अपने साथ ले गए.

याचिका में कहा गया है कि जब दंपत्ति के बेटे ने इसका विरोध किया तो उनमें से एक ने रिवॉल्वर तान दी और धमकी दी कि अगर उसने आगे कुछ बोला तो गोली मार दी जाएगी. याचिका में कहा गया है कि इन व्यक्तियों के आने और उनकी हरकतें याचिकाकर्ता के घर पर लगे सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई हैं.

कहा गया है कि लगभग 65 वर्षीय और बीमारियों से पीड़ित महमूद बेग को conversion में पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया और उसके बाद उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए परिवार से एक लाख रुपये की अवैध रिश्वत की माँग की गई.

याचिका में कहा गया है कि बेग का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है फिर भी उसे 20 अगस्त 2025 से अवैध हिरासत में रखा गया है. ऐसा करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

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