गलत प्रावधान में दाखिल Return पर जीएसटी रिफंड से मना नहीं कर सकते
अतिरिक्त राशि 12.84 लाख रुपये वापसी के संबंध में तेल निर्माता कंपनी की याचिका स्वीकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि केवल गलत प्रावधान उद्धृत करने मात्र से ही किसी निर्यातक को जीएसटी रिफंड (Return) से इन्कार नहीं किया जा सकता. तेल निर्माता और निर्यातक भारत मिंट और अरोमा केमिकल्स के जीएसटी रिफंड दावों को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी फॉर्म जमा करते समय गलत प्रावधान या लिपिकीय त्रुटि का हवाला देना मूल दावों को खारिज करने या याची करदाता को मिलने वाले अधिकारों से इन्कार करने का कोई आधार नहीं है, जबकि दोनों पक्षों के बीच इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि याची सीजीएसटी रिफंड (Return) का हकदार था.
जस्टिस अजय भनोट की बेंच ने यह आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा, याची द्वारा प्रस्तुत आवेदन में सीजीएसटी कर की वापसी (Return) का दावा किया गया था. उसे केवल इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि कर वापसी संबंधी फॉर्म में राशि गलत शीर्षक के अंर्तगत दर्ज की गई थी, क्योंकि ऐसी त्रुटि का कारण प्रासंगिक नहीं है. एकलपीठ ने पाया कि अपीलीय प्राधिकारी ने याची के दायर आवेदन पर विचार नहीं किया. कोर्ट ने माना कि विवाद का गुण-दोष के आधार पर निर्धारण करने में विफल रहने और तकनीकी आधार पर दावे को अस्वीकार कर अपीलीय प्राधिकारी ने विधिक त्रुटि की है.
बेंच ने इस संबंध में आदेशों को रद कर दिया और नए सिरे से निर्धारण के लिए अपीलीय प्राधिकारी को वापस भेज दिया. मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार याची की तरफ अतिरिक्त भुगतान की सीजीएसटी राशि जो 12,84,595 रुपये है, वापसी (Return) का दावा किया गया. यह आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था. हाई कोर्ट में वादी की ओर से इस बात को साबित किया गया कि अतिरिक्त कर राशि जीएसटी आरएफडी-01 फॉर्म में केंद्रीय कर के बजाय एकीकृत कर शीर्षक के अंतर्गत दर्ज की गई थी और यह त्रुटि सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के कारण हुई थी, न कि याची की किसी गलत टाइपिंग प्रविष्टि के कारण.
अपीलीय प्राधिकारी ने अपने आदेश में कहा था कि अपीलकर्ता “अंतर-राज्यीय आपूर्ति पर चुकाए गए कर के कारण सीजीएसटी वापसी का पात्र है लेकिन चूंकि इसे गलत शीर्षक के तहत दाखिल किया है. अपीलकर्ता अपने दावे के समर्थन में कोई सबूत पेश करने में विफल रहा है, इसलिए वह सीजीएसटी अधिनियम 201 कीधारा 77 (1) के तहत वापसी का पात्र नहीं है.
हाईकोर्ट परिसर में पान, गुटखा की बिक्री पर होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई : बैरिस्टर सिंह

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने कार्यभार संभालते ही तूफानी आदेश जारी करने शुरू कर दिए. उच्च न्यायालय परिसर, अधिवक्ता चैंबरों में चौतरफा फैली गंदगी को लेकर बार एसोसिएशन ने सख्त रवैया अख्तियार किया है. बुधवार को नवनिर्वाचित संयुक्त सचिव प्रशासन बैरिस्टर सिंह ने कार्यभार संभालते ही हाईकोर्ट परिसर में पान, गुटखा, सिगरेट की बिक्री तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने का आदेश पारित कर दिया है.
आदेश पारित करते हुए संयुक्त सचिव प्रशासन बैरिस्टर सिंह ने कहा कि यदि बार का कोई भी कर्मचारी न्यायालयों के आसपास या फिर उच्च न्यायालय परिसर में पान, गुटखा और सिगरेट की बिक्री करता हुआ पाया जाएगा तो उसके खिलाफ तत्काल प्रभाव से अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने अधिवक्ता साथियों से भी उच्च न्यायालय परिसर को साफ सुथरा बनाए रखने की अपील की है.
परिसर पूरी तरह से स्वच्छ और साफ सुथरा रहे इसमें सभी अधिवक्ताओं से सहयोग करने की अपेक्षा की गई है. बता दें कि आज संयुक्त सचिव प्रशासन बैरिस्टर सिंह ने न्यायालय परिसर का निरीक्षण किया जहां कई जगह गंदगी पाई गई इसे लेकर संयुक्त सचिव प्रशासन बैरिस्टर सिंह ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसके बिक्री पर रोक लगाने का आदेश पारित किया है.
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