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हिंसक भीड़ के हमले में Inspector की मौत पर 7 साल कैद सजा को चुनौती

घटना में शामिल रहने के आरोपी ने सजा के खिलाफ दाखिल की हाईकोर्ट में अपील

Inspector की मौत पर 7 साल कैद सजा को चुनौती

बुलंदशहर के सयाना थाना क्षेत्र में 31 दिसंबर 18 को हिंसक झडप में Police Inspector सुबोध कुमार सिंह व सुमित की मौत की घटना को लेकर कई अभियुक्तों को मिली एक माह से अधिकतम सात साल की कैद की सजा के खिलाफ एक आरोपी नितिन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है. जिसकी सुनवाई अगले हफ्ते में होगी.

अपीलार्थी अधिवक्ता अर्विन्द कुमार मिश्र ने बताया कि सयाना पुलिस को सूचना मिली कि जंगल में गोकशी की गई है और लोगों ने चक्का जाम कर दिया है. खेतों में गाय के कटे सिर देखे गये. इंस्पेक्टर (Police Inspector) सुबोध कुमार सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम मौके पर पहुंची और भीड़ को समझाने  के दौरान हिंसा भड़क गई.

कहा जाता है कि पुलिस की गोली ने सुमित की मौत हो गई. भीड़ ने इंस्पेक्टर (Police Inspector) पर हमला किया. जिसमें उसकी भी मौत हो गई थी. पुलिस ने दूसरे दिन 4 दिसंबर 18 को 27 नामजद व 50-60 अज्ञात के खिलाफ सयाना थाने में एफआईआर दर्ज की. 2019 में दाखिल चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और ट्रायल के दौरान 26 गवाह पेश किए गए

अभियुक्तों का भी बयान दर्ज किया गया. विभिन्न धाराओं में सत्र अदालत ने एक माह से लेकर अधिकतम सात साल की कैद व जुर्माना की सजा सुनाई. जिसे अपील में चुनौती दी गई है. कहा कि वह नामजद नहीं है, विवेचना के दौरान उसका नाम आया है. अपील में सजा निलंबित करने व जमानत पर रिहा करने की मांग की गई है. कहना है कि सत्र अदालत ने सबूतों को सही मायने में समझने में गलती की है.

पुलिस कमिश्नर आगरा को निर्देश दे मांगी जानकारी या सफाई सहित हो हाजिर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सूचना के बावजूद मागी गई जानकारी उपलब्ध न कराने पर पुलिस (Police) कमिश्नर आगरा को जानकारी देने या अगली तिथि को स्पष्टीकरण के साथ पेश होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सूचना के बाद भी पुलिस द्वारा मांगी जानकारी उपलब्ध न कराना न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करना है. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 21अगस्त तक पुलिस (Police)  कमिश्नर बतायें कि आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया.

यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने श्रीमती बत्तो देवी व अन्य की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने एजीए से 4 जुलाई को कहा था कि अभियुक्तों पर सम्मन के तामीला की जानकारी दे. 5 अगस्त को उन्होंने फिर समय मांगा. कहा आदेश की सूचना पुलिस (Police)  को दी गई है किन्तु कोई जवाब नहीं आया. जिस पर कोर्ट ने पुलिस (Police) कमिश्नर आगरा को व्यक्तिगत हलफनामे में जानकारी देने का निर्देश दिया है.

सौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में आरोपित को सशर्त जमानत

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार की गई गाजियाबाद निवासी राखी गोयल की सशर्त जमानत स्वीकार कर ली है. यह आदेश जस्टिस समीर जैन की बेंच ने बुधवार को सुनाया. अपीलार्थी पिछले 17 महीने में जेल में था. कोर्ट ने कहा है कि  मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना जमानत आवेदन स्वीकार किया जाता है.

कोर्ट ने मनीष सिसोदिया बनाम अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख करते हुए संबंधित न्यायालय की संतुष्टि के अनुसार व्यक्तिगत बंधपत्र और समान राशि के दो जमानतदार प्रस्तुत करने पर  शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने के लिए कहा है. एकल पीठ ने कहा वर्तमान मामले की सुनवाई के शीघ्र निपटारे की संभावना बहुत कम है. ईडी के अधिववक्ता ने भी माना कि है  सुनवाई में समय लगेगा. इसलिए आवेदक को अनुसूचित अपराधों की सुनवाई पूरी होने तक जेल में नहीं रखा जा सकता.

जस्टिस ने कहा, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्य अभियुक्त सुधीर कुमार गोयल की पत्नी होने के नाते याची को भी वर्तमान मामले में अभियुक्त बनाया गया है. वह पांच मार्च 2024 से जेल में है. आरोपित है कि राखी गोयल, उसके पति सुधीर कुमार गोयल और अन्य ने कम से कम 11 अवैध कॉलोनियां विकसित कीं. इनमें प्रत्येक में 100 प्लॉट थे और उन्होंने सौ करोड़ की धोखाधड़ी की है. प्रवर्तन निदेशालय ने धारा 3 और 4 धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत ईडी थाना लखनऊ में केस दर्ज किया है.

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