शिक्षक बने रहना है तो पास करें TET परीक्षा, 2 साल का मौका
सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला, प्राइमरी और जूनियर के सरकारी शिक्षकों को झटका

देश के प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों में तैनात शिक्षकों को नौकरी में बने रहने के लिए TET परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा. इसके लिए उन्हें दो साल का मौका मिलेगा. इस दौरान TET पास न कर पाने पर शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. उनके प्रमोशन पर भी विराम लग सकता है. यहां तक कि कम्पल्सरी रिटायरमेंट तक किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्राइमरी और जूनियर के शिक्षकों में हड़कंप मच गया है. मंगलवार को पूरी दिन इसी पर चर्चा होती रही और तरह तरह के कमेंट सोशल मीडिया पर शेयर किये जाते रहे.
यह आदेश जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने सुनाया है. 110 पेज के लम्बे फैसले में दो जजों की बेंच ने कहा है कि यह फैसला पूरे देश के प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों पर समान रूप से लागू होगा. इस फैसले से शिक्षा के अधिकार कानून के लागू होने से पहले नियुक्ति पाने वाले शिक्षक भी प्रभावित होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जो शिक्षक नौकरी में हैं और उनकी नौकरी अभी पांच साल से ज्यादा बची हुई है, उन्हें नौकरी में बने रहने का मौका दिया जा सकता है लेकिन प्रमोशन पाने के लिए उन्हें भी TET पास करना अनिवार्य होगा. बेंच ने यह भी एड किया कि TET पास करने में नाकाम रहने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है. ऐसे शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के लाभ दिए जाएंगे.
माइनारिटी संस्थानों के लिए TET पर सुनवाई करेगी लार्जर बेंच

दो जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान 2014 के संविधान पीठ के उस फैसले को भी कटघरे में खड़ा किया जिसमें कहा गया था कि माइनारिटी संस्थानों पर RTE अधिनियम लागू नहीं होता है. बेंच ने माइनारिटी संस्थानों से जुड़ा मामला विचार के लिए लार्जर बेंच को भेजने का निर्देश दिया है ताकि निर्णय लिया सके कि मौजूदा नियम माइनारिटी संस्थानों पर लागू किए जा सकते हैं या नहीं. लार्जर बेंच का फैसला आने तक इन संस्थानों को TET से छूट दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि जो भी शिक्षक दो साल की निर्धारित अवधि में TET पास नहीं कर पाते हैं उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षक बनने या प्रमोशन पाने के लिए TET पास करना अब अनिवार्य शर्त है. यह निर्देश आरटीई एक्ट की धारा 23 और एनसीटीई द्वारा 2011 में निर्धारित न्यूनतम योग्यता के ढांचे पर आधारित है.
RTE लागू होने (2009) से पहले नियुक्त शिक्षकों (जिनकी सेवा में 5 साल से ज्यादा बचे हैं) को दो सालों के अंदर TET पास करने का निर्देश दिया गया है. अगर वे ऐसा करने में असफल रहते हैं तो उन्हें सेवा छोड़नी पड़ेगी या अनिवार्य रूप से रिटायर होना होगा. इसके बाद ही वे टर्मिनल बेनिफिट्स का फायदा तभी उठा सकेंगे जब वे क्वॉलिफाइंग सर्विस पूरी कर लें.
- सुप्रीम कोर्ट में एनसीटीई ने दिया था
- NCTE Act, 1993 – NCTE को शिक्षकों की योग्यता तय करने का अधिकार दिया.
- 2001 Regulations – न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गई.
- RTE Act, 2009 – धारा 23 के तहत NCTE को “Academic Authority” घोषित किया गया.
- 2010 Notification (23.08.2010) – कक्षा I से VIII तक शिक्षक बनने के लिए TET पास करना अनिवार्य किया गया.
- 2014 Regulations – भर्ती और पदोन्नति दोनों के लिए TET को अनिवार्य बना दिया.
- 2017 Amendment – सभी अपात्र (untrained) शिक्षकों को 31.03.2019 तक प्रशिक्षण लेना आवश्यक किया.
आदेश को इन शॉर्ट समझें तो आप ने बेसिक विभाग मे ज्वॉइन कभी भी किया हो यदि आप TET उत्तीर्ण नही हैं तो आगामी दो वर्षों मे आपको TET उत्तीर्ण करना होगा या फिर आप आवश्यक सेवानिवृत्त कर दिए जाएंगे. इतना तगड़ा आदेश,इतनी सख्त मेंशनिंग ने देश भर के बेसिक शिक्षा विभाग मे हड़कंप मचा दिया. अंदाजा है कि इस आदेश के अनुपालन में अकेले उत्तर प्रदेश से ही करीब डेढ़ लाख शिक्षक दो वर्षों मे अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं.