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Street Dogs पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट!, 14 को हुआ था रिजर्व

तीन जजों की बेंच ने की थी प्रकरण की सुनवाई

Street Dogs पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट!, 14 को हुआ था रिजर्व

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नई दिल्ली से Street Dogs को हटाकर शेल्टर में शिफ्ट किये जाने के साथ ही Street Dogs को लेकर तमाम अन्य महत्वपूर्ण डायरेक्शन देने वाली जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच का फैसला किस स्तर पर बदला जायेगा? यह फैसला शुक्रवार 22 अगस्त को हो जाएगा. इस मामले में 14 अगस्त को सुनवाई पूरी होने के बाद तीन जजों जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

ऐसा तब हुआ जब कुछ वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष यह उल्लेख किया कि दो जजों की बेंच द्वारा जारी किये गये निर्देश इसी मुद्दे को लेकर अन्य जजों की बेंच द्वारा पारित आदेशों के विपरीत हैं. इसके बाद इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच का गठन किया गया. इस बेंच पुराना आदेश भी पढ़ा और न्याय मित्र के साथ ही दूसरे पक्षकों को भी सुना.

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बता दें कि Street Dogs के चलते बच्चों का अकेले घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. उनका जीवन खतरे में पड़ता है. Street Dogs के चलते तमाम लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं और उनका जीवन खतरे में पड़ता है. इसे लेकर खबरें अक्सर मीडिया में सुर्खियां बनती हैं. ऐसी ही एक खबर को जुलाई माह में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने स्वत: संज्ञान लिया था.

11 अगस्त को बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायमित्र गौरव अग्रवाल द्वारा दिए गए सुझावों पर तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से सभी आवारा कुत्तों (Street Dogs ) को डॉग शेल्टर में भेजने के निर्देश दिये थे. दो जजों की बेंच ने निर्देश दिया था कि दिल्ली राज्य, दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगर निगम तुरंत डॉग शेल्टर बनाएँ और 8 सप्ताह के भीतर कोर्ट को रिपोर्ट दें.

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जजों ने निर्देश दिया कि डॉग शेल्टर में आवारा कुत्तों (Street Dogs ) की नसबंदी, टीकाकरण और उचित देखभाल के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों को तैनात करने के भी निर्देश दिये गये थे. कोर्ट ने इन्हीं कर्मचारियों पर यह जिम्मेदारी देने के लिए भी कहा था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि शेल्टर भेजे गये स्ट्रीट डॉग्स (Street Dogs ) फिर से पब्लिक प्लेस पर न लौटने पाएं. कोर्ट ने कहा था कि इसकी सीसीटीवी से निगरानी की जाए ताकि कर्मचारी स्ट्रीट डाग्स (Street Dogs ) को पब्लिक प्लेस के आसपास न छोड़ें. मानिटरिंग में यह पता चलने पर कि किसी स्ट्रीट डाग (Street Dogs ) को शेल्टर के बाहर छोड़ा गया है तो संबंधित पर कार्रवाई भी की जाय.

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कोर्ट ने कहा था कि समय के साथ स्ट्रीट डाग के लिए आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ाया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए. शहर के संवेदनशील और बाहरी इलाकों से स्ट्रीट डाग्स (Street Dogs ) को उठाना शुरू करने की व्यवस्था की जानी चाहिए. दो जजों की बेंच ने कहा था कि यह कैसे करना है? यह अधिकारियों को देखना है और अगर उन्हें एक बल बनाना है, तो उन्हें जल्द से जल्द ऐसा करना चाहिए. इस प्रक्रिया में कोई समझौता नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश जारी किया था.

कोर्ट ने यह भी कहा था कि शिशुओं और छोटे बच्चों को किसी भी कीमत पर रेबीज का शिकार नहीं होना चाहिए. कार्रवाई से उनमें यह विश्वास पैदा होना चाहिए कि वे स्ट्रीट डाग (Street Dogs ) द्वारा काटे जाने के डर के बिना सड़कों पर स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं. डायरेक्शन यह भी था कि यह प्रक्रिया पूरी करने के दौरान इस बार का भी ध्यान रखा जाय कि इससे किसी की भावनाएं आहत न हों.

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कोर्ट की तरफ से यह जिम्मेदारी एमसीडी/एनडीएमसी और नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम के उपयुक्त अधिकारियों को दी थी और कहा था कि सभी प्राधिकारी प्रतिदिन पकड़े गए आवारा कुत्तों (Street Dogs ) का रिकॉर्ड रखेंगे. यह रिकॉर्ड अगली सुनवाई की तारीख पर कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा. कोर्ट ने इस बात पर विशेष जोर दिया था कि इलाके के किसी भी हिस्से से उठाए गए एक भी स्ट्रीट डाग (Street Dogs ) को बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए. चेतावनी दी थी कि ऐसा हुआ तो कोर्ट कार्रवाई करेगा.

11 अगस्त के फैसले में एक और महत्वपूर्ण बात यह थी कि एक सप्ताह के भीतर एक हेल्पलाइन शुरू की जाएगी. इस हेल्प लाइन पर आवारा कुत्तों (Street Dogs ) के काटने की सूचना दी जा सकेगी. शिकायत प्राप्त होने के 4 घंटे के भीतर कुत्ते को पकड़ने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए. कोर्ट ने डायरेक्शन में यह भी एड किया था कि कार्रवाई रास्ते में आने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन की कार्रवाई को कोर्ट गंभीरता से लेगा और अवमानना के साथ आगे बढ़ेगा.

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